जवानी में भरा फॉर्म.. बुढ़ापे में बहाली! बिहार में बच्चों की मां ने क्लियर किया फिजिकल
Bihar Govt.Jobs: 6 बच्चों के पिता सुशील चा दौड़ लगा रहे हैं. 46 की उम्र में भी मंजीत चा का जोश हाई है. होमगार्ड की नौकरी के लिए ये भी अपना दावा पेश कर रहे हैं. बिहार होमगार्ड की नौकरी के लिए फिजिकल टेस्ट में पहुंचे अभ्यर्थियों के बारे में जान लीजिए. सफेद बाल.. चेहरे पर झुर्रियां.. उम्र के 50 बसंत देख लिए हैं.
Bihar Homeguard Recruitment: बिहार होमगार्ड की बहाली के लिए आरा जिले में कैंप लगा. अभ्यर्थियों की भीड़ जमा हुई. लेकिन वहां बहाली करने पहुंचे जवान और अधिकारी उस वक्त चौंक गए जब उनकी नजर वहां आए कैंडिडेट्स पर पड़ी. किसी की उम्र 45 साल, कोई 48 का है तो कोई जीवन के 50 सावन देख चुका है. ये लोग सिर्फ यहां पहुंचे ही नहीं बल्कि बिहार में बहाली के नाम पर यहां बुजुर्ग दौड़े भी. 800 मीटर की दौड़, लॉन्ग जंप, हाई जंप, गोला फेंक सब में हिस्सा लिया.
लेकिन इन तस्वीरों को देखकर हर कोई चौंक गया कि आखिर रिटायरमेंट की उम्र में अंकल बहाली के लिए कैसे पहुंच गए तो चलिए इसका जवाब हम दे देते हैं.
रिटायरमेंट की उम्र में लगा रहे दौड़
6 बच्चों के पिता सुशील चा दौड़ लगा रहे हैं. 46 की उम्र में भी मंजीत चा का जोश हाई है. होमगार्ड की नौकरी के लिए ये भी अपना दावा पेश कर रहे हैं. बिहार होमगार्ड की नौकरी के लिए फिजिकल टेस्ट में पहुंचे अभ्यर्थियों के बारे में जान लीजिए. सफेद बाल.. चेहरे पर झुर्रियां.. उम्र के 50 बसंत देख लिए हैं. लेकिन हालातों ने सरकारी नौकरी के लिए दौड़ लगवा दी. लेकिन टारगेट है 800 मीटर की दूरी को दौड़कर ढाई मिनट में पूरा करना है. अब ये कैसे हो. शरीर तो जवाब दे रहा है.
हौसला तो इनमें आज भी है. लेकिन समय सीमा के अंदर ये सीमा पार नहीं कर पाए. अब मायूम होकर घर जा रहे हैं.. लेकिन यहां एक और पेच है. जब इन लोगों ने होमगार्ड की नौकरी के लिए फॉर्म भरा था, तब ये जवान थे. इनकी बाजुओं में जोर था. शरीर में स्फूर्ति थी. लेकिन सिस्टम की बदहाली की वजह से इन्हें फिजिकल के लिए 18 साल का इंतजार करना पड़ गया.
2006 में निकली थी बहाली
बिहार होमगार्ड कॉन्सटेबल के लिए बहाली 2006 में निकली थी. 21 हजार 724 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. तब लोगों डीएम कार्यालय में आवेदन जमा किया था. इस जॉब के लिए 5 साल तक कुछ नहीं हुआ. इसके बाद 2011 में दूसरी भर्ती निकाली गई. तब इन लोगों ने दोबारा अप्लाई किया. लेकिन तब फॉर्म का रखरखाव ठीक से नहीं होने की वजह से बहाली कैंसल हो गई. इसके बाद मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट के आदेश पर अब बहाली हो रही है.
अब जिन लोगों ने 18 साल पहले आवेदन भरा था. उनका बच्चा अब 16 साल का हो गया है. कई तो दादा-नाना बन गए हैं. जवानी में भरे गए फॉर्म के लिए बुढ़ापे में दौड़ लगानी पड़ रही है.
2006 में 18 साल की गीता देवी ने भी फॉर्म भरा था. आज वो 36 साल की हो गई हैं. तब से लेकर अब तक शादी हो गई. बच्चे हो गए.गीता देवी को पता नहीं क्यों विश्वास था कि एक दिन दौड़ जरूर होगी और वो हर दिन तैयारी भी करती थीं. यही वजह है कि इन्होंने फिजिकल टेस्ट पास कर लिया.
गीता देवी तो दौड़ में अव्वल आ गईं. लेकिन सुशील जी और मंजीत जी बढ़ती उम्र की वजह से 800 मीटर की दौड़ भी नहीं लगा पाए. ये 18 साल पहले भी बेरोजगार थे. सिस्टम के फेल्यर की वजह से 18 साल तक इन्हें अपनी बारी का इंतजार था और जब बारी आई तब इनके शरीर ने साथ नहीं दिया और ये आज भी बेरोजगार ही घर लौट रहे हैं. ऐसे में बिहार और यहां के बेरोजगार के लिए एक कविता याद आती है.
चंद्रगुप्त का साहस हूं, अशोक की तलवार हूं।
बिंदुसार का शासन हूँ , मगध का आकार हूं।
अजी हां! बिहार हूं।।
दिनकर की कविता हूं, रेणु का सार हूं।
नालंदा का ज्ञान हूं, पर्वत मन्धार हूं।
अजी हां! बिहार हूं।
बेबस हूं.. लाचार हूं.. बेरोजगार हूं..
अजी हां.. मैं भी बिहार हूं..