पटना: पटना के परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापने के लिए तीन नए डिस्प्ले स्क्रीन सोमवार को लगाए गए. इसके जरिए अब पटना के लिए ज्यादा सटीक आंकड़ा मिल पाएगा. पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ठंड के दिनों में काफी खराब हो जाता है. इसे ठीक करने के लिए सटीक आंकड़ा स्थिति के विश्लेषण में काम आएगा. साथ ही कई ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं जिससे स्थिति सुधारी जा सके.


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बता दें कि विश्व के सबसे ज्यादा 20 प्रदूषित शहर में राजधानी पटना का नाम है. इसमें बिहार के तीन शहर- पटना, मुजफ्फरपुर और गया शामिल है. इस स्थिति को ठीक करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक पटना में सिर्फ एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले तारामंडल के पास लगा था.


सोमवार को पटना के इको पार्क में डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले का शुभारंभ किया, जबकि श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के पास बीआईटी मेसरा परिसर में एक और डिस्प्ले का शुभारंभ रिमोट के द्वारा किया गया. इससे न सिर्फ अब बेहतर आंकड़ा मिल सकेगा, बल्कि इस नए डिस्प्ले में कई ज्यादा जानकारी मिल पाएगी. इसमें मौसम संबंधी जानकारी भी शामिल है.


राजधानी पटना में अगले पंद्रह दिनों में दो और इलेक्रॉनिक डिस्प्ले लगाए जाएंगे, यानि पटना में अब वायु प्रदूषक तत्व मापने के छह डिस्प्ले नजर आएंगे. इसके जरिए पटना का आंकड़ा जायद सटीक मिल पाएगा और विश्लेषण में भी इससे मदद मिलेगी.


इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि किस तरह से राज्य सरकार कई एहतियाती कदम उठा रही है. इसमें प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिले और अब पुराने वाहनों पर खास ध्यान दिया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि भवन निर्माण के समय भी धूल उड़कर वातावरण में मिल सके, इसके लिए भी निर्माण क्षेत्र के चारों तरफ हरा पर्दा लगाने और नगर निगम की गाड़ियों को कचरा ढोने के लिए उसे ढकना अनिवार्य किया गया है.


वहीं, सड़क पर उड़ने वाले धूल रोकने लेकर भी योजना बनाई गई है. सड़क किनारे फुटपाथ बनाकर उसे टाइल्स से ढकने का काम शुरू किया जा रहा है. जिससे वायु में धूलकण की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके. गया


और मुजफ्फरपुर में भी पहले से एक-एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगा हुआ है. अब एक और डिस्पले यहां और लगाया जा रहा है. जबकि हाजीपुर में एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगाया जा रहा है. भविष्य में राज्य के सभी जिलों में यह लगाने की योजना है जिससे ज्यादा सही आंकड़ा वायु प्रदुषण को लेकर मिल सके.