मुंगेर: विसर्जन को लेकर प्रशासन-दुर्गा पूजा समिति आमने-सामने, यह है वजह...
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मुंगेर: विसर्जन को लेकर प्रशासन-दुर्गा पूजा समिति आमने-सामने, यह है वजह...

जिला प्रशासन प्रथम चरण एक चुनाव का हवाला देते हुए पूजा समितियों को 25 अक्टूबर को रात तक विसर्जन करने को कह रही है

विसर्जन को लेकर प्रशासन-दुर्गा पूजा समिति आमने-सामने. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रशांत कुमार/मुंगेर: 17 अक्टूबर से नवरात्रा की शुरआत होने वाला है. वहीं, विसर्जन को लेकर सभी दुर्गा पूजा समिति और जिला प्रशासन में ठन गई है. जहां एक ओर प्रशासन पूजा समितियों को ये समझाने में जुटी है कि वो नवरात्र के  दसवीं पूजा प्रवेश करने के बाद तुरंत अपनी-अपनी प्रतिमा का विसर्जन कर ले. लेकिन पूजा समिति जिला प्रशासन के इस रवैये से नराज चल रहे हैं, जिसको लेकर दुर्गा पूजा समिति और जिला प्रसाशन की इस मुद्दे पर दो बार बैठक की गई. लेकिन अभी तक इसका हल नहीं हो पाया है.

वहीं, एक तरफ जिला प्रशासन प्रथम चरण एक चुनाव का हवाला देते हुए पूजा समितियों को 25 अक्टूबर को रात तक विसर्जन करने को कह रही है तो वहीं, जिले के बड़ी दुर्गा समिति सदस्य का कहना है जिले में बड़ी दुर्गा, छोटी दुर्गा और बड़ी काली परंपरा के अनुसार भक्तो के कंधों पर उठती और कंधो के सहारे भक्त मां को गंगा में विसर्जन करती हैं. ऐसे में अगर हमारी मांग जिला प्रशासन नहीं मानती है तो हमारी परंपरा खत्म हो जाएगी. क्योकि बड़ी देवी 32 कहार के कंधे पर उठती है और भक्त कंधे के सहारे मां को गंगा घाट तक पहुंचाती है.

जिलाधिकारी राजेश मीणा की मानें तो उनका कहना है कि जिले में 28 अक्टूबर को चुनाव है. गृह विभाग का आदेश है कि 25 अक्टूबर तक जिले में सभी दुर्गा का विसर्जन हो जाना है. लेकिन दुर्गा पूजा समिति की अपनी-अपनी परम्परा है जिसको ध्यान में रखकर हमलोग फिर से एक बार बातचीत करेंगे.

वहीं, बड़ी दुर्गा पूजा समिति की मानें तो उनका कहना है की हमलोगों ने जिले के सभी पूजा समिति की बैठक की, जिसमे यह निर्णय लिया गया कि 25 अक्टूबर को नवमी के दिन प्रतिमा विसर्जन से सभी पूजा समितियों ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है. सदस्यों ने कहा कि दसवीं के दिन मां की गोद भराई की परंपरा चली आ रही है. गोद भराई के बाद ही मां को विदाई दी जाती है.

उन्होंने कहा की शहर के विभिन्न पूजा समितियों की ओर से कहा गया है कि चुनाव को लेकर हम सभी प्रशासन का सहयोग करना चाहते हैं. 26 और 27 अक्टूबर को विसर्जन की अनुमति नहीं मिलती है तो चुनाव के बाद 29 और 30 को प्रतिमा विसर्जन किया जा सकता है.

वहीं, तीस वर्षो से बड़ी देवी की मूर्ति बना रहे नंद किशोर पंडित का कहना है कि उनके नाना पहले बड़ी देवी की प्रतिमा बनाते थे. लेकिन उसके गुजर जाने के बाद मैं बना रहा हूं. सबसे बड़ी देवी की खासियत है इसमें भैसा जानवर की प्रतिमा नहीं बनती है. 

उन्होंने कहा की मां में अद्भुत शक्ति है. जब मां को पूरी तैयार करते हैं, उस दिन पूरा शरीर हल्का हो जाता है. उन्होंने कहा बड़ी दुर्गा 32 कहार के कंधे पर उठती है. ये पंरपरा वर्षो से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि बड़ी दुर्गा में लोगो की काफी आस्था है, इसलिए इसबार भक्त प्रशासन की बात को नहीं मानेंगे.