Lok Sabha Election 2024: कहने को तो बिहार महागबंधन में सब ठीक चल रहा है. मगर राजद का रवैया कुछ और ही बयां कर रहा है. अभी बिहार महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, और लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी के कैंडिडेट और सीटों का ऐलान कर रहे हैं. जिससे सियासी हलकों में जो चर्चा हो रही है, उससे कहा जा रहा है कि राजद इस तरह टिकट देना कांग्रेस के हलके नीचे नहीं उतर रहा है. तभी तो 21 मार्च, 2024 दिन गुरुवार को बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रात में ही भागे-भागे लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने पहुंचे. अब इस मुलाकात के भी कई अर्थ निकाले जा रहे है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, कांग्रेस औरंगाबाद लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रही था. वह यहां से अपना कैंडिडेट उतारना चाह रही थी. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की नजर इस सीट पर तब से थी, जब महागठबंधन को छोड़कर जीनतराम मांझी की पार्टी हम (HAM) चली गई थी. क्योंकि इस सीट पर हिंदुस्तान आवाम मोर्च (HAM) ने चुनाव लड़ा था और कैंडिडेट उपेंद्र प्रसाद वर्मा थे. इस बार कांग्रेस को उम्मीद थी कि महागठबंधन की तरफ से खाली यह सीट उसके खाते में आएगी, तभी इस बार कांग्रेस ने ज्यादा लोकसभा सीट पर लड़ने का दावा कर रही थी. 


वहीं, कांग्रेस इस सीट पर दावा करती उससे राजद ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, और उसके इस अरमानों पर पानी फेर दिया. सबसे अहम बात यहां ये हैं कि बिहार में पहले चरण के चुनाव में महागठबंधन में शामिल सभी दलों में से केवल राजद का ही कैंडिडेट चुनावी मैदान में होगा.  


चर्चा है कि इधर कांग्रेस महागठबंधन में सब अच्छा होने का दावा करता है. उधर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने टिकट बांटना शुरू कर दिया. लालू प्रसाद यादव अपने सहयोगी दलों से इस पर चर्चा करना तक उचित नहीं समझा. इसका सीधा सा मतलब होता है कि बिहार में राजद महागठबंधन में सबसे बड़ा दल है और वह अपने हिसाब से सहयोगी दलों को लोकसभा सीट देंगे. चाहे कांग्रेस हो या और गठबंधन के दल. 


रादद ने जदयू छोड़ने वाले पूर्व विधायक अभय कुशवाहा को अपने टिकट पर औरंगाबाद से चुनाव लड़ने के लिए कहा है. अब सियासी हलकों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि राजद और कांग्रेस के बीच औरंगाबाद सीट को लेकर सीधे टकराव के हालात बन सकते हैं. क्योंकि कांग्रेस औरंगाबाद को बिहार की कुछ सीटों में से एक अपने खाते का मानती है, जहां वह अच्छी लड़ाई दे सकती है.


अब यहां यह समझना हो होगा कि ऐसे हालात क्यों बने. दरअसल, बिहार में कांग्रेस वैसे भी लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पीछे खड़ी रहती है. पार्टी का खुद कोई स्टैंड नहीं होती है. जो लालू प्रसाद यादव कहते हैं कांग्रेस उसी मुद्दे पर चलती है. ठीक ऐसा ही हुआ है इस बार टिकट बंटवारे को लेकर, जब मीडिया में खबरें चलती, महागठबंधन में सीट बंटवारा अभी तक क्यों नहीं हुआ, क्या सबकुछ नहीं चल रहा है. सहयोगी दलों के बीच बात नहीं बन पा रही है, तो कांग्रेस नेता कहते थे कि सब अच्छा है, कोई दिक्कत नहीं है. जल्द ही सीटों का बंटवारा हो जाएगा.  


यह भी पढ़ें:बेगूसराय से कटा कन्हैया कुमार का नाम, भाकपा ने अवधेश राय को बनाया प्रत्याशी


मगर ऐसा होती दिखाई नहीं दिया. महागठबंधन के घटकों के बीच लोकसभा सीट बंटवारे का फैसला होने के बजाय राजद ने पहले चरण को चुनाव के लिए कैंडिडेट को टिकट देकर मैदान में उतार दिया. राजद के अलावा, महागठबंधन में कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई और सीपीआई (एम) देखते रह गए.