Begusarai News: बिहार के इस गांव में मथुरा और वृंदावन की तर्ज पर होती है होली, आज भी जिंदा है 100 वर्षों का इतिहास
Begusarai News: ग्रामीण गोपाल सिंह बताते हैं कि पिछले 100 वर्षों से ग्रामीणों के द्वारा इस तरह की होली खेली जाती है. जहां हजारों लोग दो भागों में बैठकर एक दूसरे पर पिचकारी से रंग फेंकते हैं. यह काम पुरे दिन गावं के पांच कुआं पर आयोजित होती है. यहां की होली वृंदावन और मथुरा से भी खास है.
बेगूसराय: बेगूसराय के मटिहानी में पिछले 100 वर्षों का इतिहास आज भी जिंदा है. इस गांव में पिछले सौ वर्षों से मथुरा और वृंदावन की तर्ज पर दो गुटों में बंटकर हजारों लोग एक दूसरे पर रंगों की वर्षा करते है. इस दौरान क्या बच्चे क्या बूढ़े हर कोई होली की मस्ती मे चूर रहता है. कहते है कि इस दौरान पांच कुएं पर पहुंच कर लोग इसी तरह की होली खेलते है. यह नजारा बेहद ही खास होता है.
बता दें कि मटिहानी गांव की यह होली ना सिर्फ आस पास के इलाके बल्कि देश भर में चर्चित है. इस दिन को खास बनाने के लिए लोग देश विदेश से खास तौर पर अपने गांव आते है. इस संबंध में ग्रामीण गोपाल सिंह बताते हैं कि पिछले 100 वर्षों से ग्रामीणों के द्वारा इस तरह की होली खेली जाती है. जहां हजारों लोग दो भागों में बैठकर एक दूसरे पर पिचकारी से रंग फेंकते हैं. यह काम पुरे दिन गावं के पांच कुआं पर आयोजित होती है. यहां की होली वृंदावन और मथुरा से भी खास है. इस अनोखी होली देखने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ लगती है. अद्भुत तरीके से इस गांव में लोगों के द्वारा होली मनाई जाती है. वही इस संबंध में गाँव की बहु पूनम सिन्हा ने बताया की होली पूरे हिंदुस्तान में अपने आप में एक खास त्यौहार है. लेकिन मटिहानी मे सैकड़ो बर्षो से चली आ रही एक एक परंपरा है जो आज भी कायम है.
इसके अलावा बता दें कि यहां की होली देश के दूसरे जगह की होली से बिल्कुल अलग है. यह होली के नाम पर गंदगी कीचड़ कुछ भी नहीं है. यहाँ के लोग एक टीम वर्क के साथ होली खेलते है, जो अपने आप में अजूबा है. पूनम सिन्हा बताती है कि इस गांव में होली तीन तीनो तक मनाई जाती है. पहले दिन संवत का आयोजन होता है जिसमें पुरे गावं मे हंसी खुशी और गीत का जो माहौल होता है वो देखने लायक होता है. जिसके दूसरे दिन पांच कुआं पर होली खेली जाती है. इस दौरान गांव के लोग दो टीमों में बंट जाती है और एक दूसरे पर रंगों का बौछार करते है. इसमें यह देखा जाता है की उसमे रंग से कौन जीत रहा है. ये कॉम्पिटिशन है स्पोर्ट्स है.
पूनम सिन्हा ने बताया की पिछले साल से यहां लड़कियों के बीच होली खेलने की शुरुआत हुई है. जिसमें लड़कियों में भी वही जोश वही ऊर्जा है वह तत्परता है. तीसरे दिन दो कुआं पर और भी होली खेली जाती है. जिसके बाद शाम में पारितोषिक वितरण का कार्यक्रम आयोजित होता है. इस कार्यक्रम में गांव के इलाके के और जिला के गण मन को शामिल होते हैं जो जीतने वाले को पुरस्कार देते हैं. मटिहानी की होली अपने आप में एक यूनिट होली है जो दूसरे जगह फॉलो नहीं किया जाता होगा. यह अपने आप एक सभ्यता समेटे हुए है. ग्रामीण संदीप कुमार बताते है की पूरे बिहार में होली के मौके पर आपसी समरसता का ऐसा उदाहरण कही नहीं देखने को मिलेगा. हमारे पूर्वजों ने जिसकी शुरुआत की थी हम लोग का दायित्व है कि हम लोग उसे सजा कर रखें. संदीप कुमार ने बताया की होली के इस मौके पर नौकरी पेशा और बाहर रहने वाले लोग गावं जरूर आते है. हम लोग इस परंपरा को आगे भी जीवित रखेंगे.
इनपुट- जितेंद्र चौधरी
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