बेगूसराय: बेगूसराय में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राहुल गांधी के द्वारा आरएसएस और भाजपा को डर, दहशत और हिंसा फैलाने वाले बयान पर पलटवार किया. इसके साथ ही सिन्हा ने बिहार में महागठबंधन की महारैली पर भी हमला बोला है. सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि राहुल गांधी आरएसएस फोबिया के शिकार रहे हैं. उनको आरएसएस का एबीसीडी पता है और ना उनको पता है कि वह क्या बोलते हैं. आरएसएस और भाजपा इस देश की लोगों की अस्मिता को इस देश की राष्ट्रवाद को इस देश के भविष्य को उज्जवल करने का काम किया है.


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उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वंशवादी के स्वयं प्रतीक हैं और बड़े घरानों की राजनीति स्वयं करते हैं. इसलिए संघ पर बार-बार प्रहार करते हैं इसका एक ही अर्थ होता है. वह किसी खास समुदाय के वोट बैंक खोजते है. अपनी और आकर्षित करना राहुल गांधी का यह आरोप मुझे लगता है कि न सिर्फ निंदनीय है बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद पर प्रहार है. वही राकेश सिन्हा ने बिहार में महा गठबंधन की रैली पर हमला बोलते हुए कहा कि वास्तव में महागठबंधन के मूल नेता तेजस्वी यादव हैं. वह जिस राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं उसमें उदारवाद और पंथनिरपेक्षता का कोई स्थान नहीं है.


वंशवाद की राजनीति के पोषक हैं तेजस्वी
सिन्हा ने आगे कहा कि तेजस्वी में समाज को बांटने की प्रवृत्तियां है. वो हिंसावादी राजनीति को बढ़ाने का काम करते हैं. बता दें कि अब तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी कांग्रेस का जमीन खिसक चुका है. प्रधानमंत्री मोदी जी का समावेशी प्रभाव है उससे यह पार्टी छटपटा गई है.  जातिवाद के आधार पर कोई भी पार्टी राजनीति में लंबे समय तक नहीं रह सकती है. तेजस्वी के मोदी के शासनकाल का जबाब मांगने पर कहा कि तेजस्वी यादव सवाल अपने पिता लालू यादव से पूछता तो अच्छा रहता है. जिस तरह से बिहार के संक्रमण प्रतिक्रिया बाद में ले जाने का काम लालू यादव ने और उनकी पार्टी ने किया है. वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि बिहार के लिए बहुत ही खतरनाक है. वह आज भी उसे राजनीति से बाहर नहीं जा रहे हैं तेजस्वी यादव प्रतिक्रिया बादी नेता है जो जातिवाद फासीवाद और सांप्रदायिकता को आगे लेकर जाते हैं.


सिन्हा ने कहा कि उनकी पार्टी में स्वयं लोकतंत्र नहीं है एक परिवार की पार्टी है. परिवार तंत्र के आधार पर कोई भी पार्टी लोकतंत्र के रास्ते से आगे नहीं बढ़ सकती है. इसलिए सबसे पहले तेजस्वी यादव अपनी पार्टी में लोकतंत्र लाये और सर्वोच्च पद पर जो लोग बैठे हुए वह चुनाव के द्वारा उनका सामाजिक आधार जो हो इस सामाजिक आधार के द्वारा अध्यक्ष बनाएं. मुख्यमंत्री का दावेदार बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी वंशवादी राजनीति के प्रतीक नहीं है. भाजपा का बिहार नेतृत्व किसी वंशवादी राजनीति का प्रतीक नहीं है यह लोकतंत्र में जो काला धब्बा है राजद इस काले धब्बे की तरह है.


इनपुट- राजीव कुमार


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