Bihar Flood: बिहार की प्रमुख नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. वहीं कहीं पुल ध्वस्त हो रहे है तो कहीं पुलिया गिर रही है. भागलपुर में कोसी नदी ने ऐसा रौद्र रूप अपना लिया है, प्रतीत होता है अपने साथ सब कुछ बहा ले जाएगी. सौं -सौं करती तेज धारा और कोसी के विकराल रूप के सामने किसी की नहीं चल रही है. जिले के खरीक प्रखंड अंतर्गत सिंहकुण्ड गांव में कोसी ने तांडव मचाया है. 


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जब जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने तेजी और मजबूती से कटाव रोधी कार्य नहीं करवाया, लगातार घर और जमीन कटकर कोसी में समाने लगे तो अब यहां की महिलाएं हर दिन कोसी किनारे बैठकर गीत गाकर उनसे आरजू विनती कर रहे हैं. महिलाएं कोसी नदी को शांत हो जाने का आग्रह कर रही हैं. 


ध्वस्त पुलिया को प्रशासन ने ईंट और मिट्टी बिछाकर आवागमन कराया चालू
वहीं सहरसा में जी मीडिया की खबर का असर हुआ है. दरअसल जिले के महिषी प्रखण्ड अंतर्गत कुंदह से बलिया सिमर गांव जाने वाली मुख्य सड़क के बीच बनी पुलिया पानी के बहाव के कारण अचानक ध्वस्त होकर जमींदोज हो गई थी. पुलिया ध्वस्त होने के कारण कई गांव के हजारों की आबादी का संपर्क भंग हो गया था. जिसके बाद प्रसासन हड़कत में आई और ध्वस्त पुलिया में ईंट और मिट्टी बिछाकर आवागमन बहाल कराया है.


कभी भी जमींदोज हो सकता है पुल 
वहीं छपरा में मांझी प्रखंड के दाहा नदी पर बने पुल पर प्रशासन द्वारा लगाए बैरेकेटिंग को दबंगों ने हटा दिया है. सारण और सीवान को जोड़ने वाला यह पुल कभी भी जमींदोज हो सकता है. बताते चलें कि इस पुल का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 फरवरी 2010 में किया था. चौदह साल में पुल की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. किसी भी समय बड़ा हादसा होने की संभावना व्यक्त की जा सकती है.


सारण जिला के जदयू नेता निरंजन सिंह ने बताया कि प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग लगाई गई थी. लेकिन दबंग व्यक्तियों द्वारा बैरिकेडिंग को खोल दिया गया था. जिससे भारी वाहनों का आवागमन शुरू हो गया. जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है.


स्थानीय छठु मांझी ने भी कहा कि अंग्रेज के शासन काल में एक लोहे के पुल का निर्माण किया गया है. वह भी पुल किसी भी समय बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है. यह सड़क मांझी गुठनी पथ से आवागमन को बाधित कर सकता है. पूर्व प्रमुख रामकिसुन सिंह ने कहा कि ठेकेदार और कार्यपालक अभियंता की मिलीभगत से घटिया किस्म की सामग्री का उपयोग किए जाने पर पुल निर्माण चौदह साल में ही ध्वस्त होने की बात कही गई है. जिला से भी कुछ वरिय पदाधिकारी द्वारा जांच की गई है. परंतु नतीजा ढाक के तीन पात जैसा है और प्रशासन इस मामले गंभीर नहीं है.
इनपुट- अश्विनी कुमार


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