भागलपुरः मलमास का असर, कांवड़ियों से गुलजार रहने वाला बैद्यनाथ धाम हुआ सुनसान
सावन माह चल रहा है, लेकिन मलमास की आज से शुरुआत हो चुकी है. मलमास का असर श्रावणी मेला पर भी दिख रहा है. दरअसल, सुलतानगंज उत्तरवाहिनी गंगा से बैधनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी जा रही है.
भागलपुरः सावन माह चल रहा है, लेकिन मलमास की आज से शुरुआत हो चुकी है. मलमास का असर श्रावणी मेला पर भी दिख रहा है. दरअसल, सुलतानगंज उत्तरवाहिनी गंगा से बैधनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी जा रही है. जो कांवड़िया पथ 24 घण्टे केसरियामय रहता था. बोलबम के जयकारे से गुंजायमान रहता था, वह सुनसान है.
इक्के दुक्के कांवड़िया ही नजर आ रहे हैं. हर दिन जहां 50 से 70 हजार कांवड़िया पैदल बैधनाथ धाम जाते थे, लेकिन आज से जिस तरह श्रद्धालुओं की संख्या में कमी हुई है. यह कहा जा सकता है कि 15 से 20 हजार कांवड़िया ही हर दिन अब बैधनाथ धाम जाएंगे. बिहार के अधिकांश लोग इसे अशुभ तो यूपी बंगाल समेत अन्य राज्यों के लोग इसे शुभ मास मानते है.
कारण यही है कि कांवड़ियो की संख्या में कमी देखी जा रही है. अहले सुबह से दोपहर के दो बजे तक 12 हजार कांवड़िया ही सुलतानगंज से जल लेकर बैधनाथ धाम गए है. झारखंड के सिमडेगा से पहुंचे आकाश केसरी व अनुज केसरी ने बताया कि मलमास है. लेकिन, सावन का महीना है. इससे ज्यादा शुभ और क्या होगा और मन्दिर का पट भी खुला है. हमलोग मलमास में भी जल चढ़ाएंगे.
आपको बता दे कि चार जुलाई से शुरू हुआ श्रावणी मेला 31 अगस्त तक चलेगा. 18 जुलाई यानी आज से 17 अगस्त तक मलमास चलेगा. मलमास में चार सोमवार पड़ रहे हैं. वहीं 17 से 30 अगस्त के बीच दो सोमवार पड़ेंगे. ऐसे तो हर तीन वर्ष में मलमास होता है लेकिन इस बार 19 साल बाद सावन महीने में मलमास पड़ा है.
वास्तव में मलमास एक अतिरिक्त मास है जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है. इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है. भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है. वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है.