लखीसराय में गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि, घर से बेघर हुए ग्रामीण
लखीसराय में गंगा के जलस्तर में वृद्धि लगातार जारी है. बड़हिया कालेज घाट से लाल दियारा, खुटहा डीह, चेतन टोला आदि कई गांव जाने वाली मुख्य सड़क जलमग्न हो गई है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी की वजह से गंगा पार दियारा स्थित बिंद टोली के चारों ओर पानी भर गया है.
लखीसराय : लखीसराय में गंगा के जलस्तर में वृद्धि लगातार जारी है. गंगा के बढ़ रहे जलस्तर से बड़हिया और पिपरिया के कई नए इलाके में पानी घुस आया है. बड़हिया स्थित बीएनएम कालेज में भी गंगा का पानी घुस गया है. बड़हिया से खुटहा जाने वाली कच्ची सड़क जल प्लावित हो चुकी है. अब कालेज घाट रोड पर भी पानी बहने लगा है. गंगा के साथ हरुहर एवं किऊल नदी का जल स्तर भी बढ़ रहा है. गंगा में जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों की परेशानियां भी बढ़ गई है. जिन गांव में पानी भर गया है वो लो घर खाली कर सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं.
मुख्य सड़क हुई जलमग्न, वाहन हुए ठप
बता दें कि बड़हिया कालेज घाट से लाल दियारा, खुटहा डीह, चेतन टोला आदि कई गांव जाने वाली मुख्य सड़क जलमग्न हो गई है. जिससे इस पथ पर वाहनों का आवागमन ठप हो गया है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी की वजह से गंगा पार दियारा स्थित बिंद टोली के चारों ओर पानी फैल गया है. अब वहां के लोग आश्रय स्थल की ओर आने को सोचने लगे हैं, चूंकि आवागमन बंद हो गया है. टाल क्षेत्र की हरुहर नदी के जलस्तर में भी वृद्धि होने से नदी का पानी किनारे को छोड़कर निचले इलाके में फैल है. पाली, एजनीघाट सहित अन्य गांव के निचले इलाके में पानी फैल गया है. हरुहर का भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है.
घर से बेघर हुए ग्रामीण
गांव के निचले हिस्से में पानी भर जाने के कारण वहां रह रहे लोग अपने मवेशियों को लेकर सुरक्षित हिस्से में पहुंच गए हैं. उधर पिपरिया प्रखंड का भी यही हाल है. सूर्यगढ़ा प्रखंड क्षेत्र में सुरक्षा तटबंध पर किऊल नदी का दबाव बढ़ गया है. गंगा के जलस्तर में अचानक तेजी से वृद्धि के कारण दियारा क्षेत्र में लगी मक्का, सोयाबीन सहित मवेशियों के लिए लगाए गए चारा के खेतों में बाढ़ पानी का प्रवेश करने लगा है. इससे किसानों और मवेशी पालकों में बेचैनी बढ़ गई है. किसान आर्थिक नुकसान को लेकर चिंतित होने लगे हैं. गंगा के जलस्तर में वृद्धि से पशुपालकों व किसानों में बचैनी है. मवेशी पालक अपने अपने मवेशी को लेकर सड़क के किनारे या ऊंचे स्थल की ओर पलायन करते देखा जा रहा है.
मकई और सोयाबीन की नहीं हो पाएगी फसल
किसान उमानाथ,बबलू यादव, पंकज कुमार, इंद्रदेव सिंह और दीपक सिंह ने बताया कि खेतों में पानी प्रवेश करने पर मकई और सोयाबीन की फसल नहीं हो पाएगी. इसके अलावा पशुओं को हरा चारा मिलने में परेशानी होगी. किसानों ने कहा कि अब तक किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल पाई है और न ही कोई अधिकारी देखने आए है.