लखीसराय: बारिश नहीं होने से जिले के किसान दहशत में हैं. धान के बिचड़े सूख रहे हैं और खेतों में दरारें पड़ने लगी है. अगर समय पर धान की रोपाई नहीं हुई तो खेती पर निर्भर रहने वाले किसानों की परेशानी बढ़ जाएगी. पूरे प्रखंड के किसान सूखे की संभावना से सहमे हुए हैं. प्रखंड में इस वर्ष 5300 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. किसानों ने किसी तरह से धान का बिचड़ा तो गिरा दिया, लेकिन अब वो सूख रहे हैं. मौसम का मिजाज देखकर किसानों को नहीं लगता कि लक्ष्य पूरा हो पाएगा.


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आसमान में दूर-दूर तक बादलों का नामोनिशान नहीं है. बारिश नहीं होने से इस बार फिर खरीफ फसल पर ग्रहण लगता दिख रहा है. रबी फसल भी मेहनत व लागत के अनुरूप नहीं होने से किसान खरीफ फसल पर आस लगाए थे. प्रखंड के 10 पंचायत के किसान इस बार कड़ी मेहनत व काफी खर्च कर अपने खेतों का पटवन कर धान का बिचड़ा तैयार कर रहे हैं. कुछ किसान निजी पंप सेट से धान का बिचड़ा खेतों में गिरा भी चुके हैं. किन्तु मौसम की बेरूखी के कारण रोपे गये धान के बिचड़े सूख रहे हैं।


किसान तत्काल रोपे गए बिचड़े को सूखने से बचाने के लिए पटवन तो कर रहे हैं, लेकिन मौसम के बेरुखी मिजाज से किसानों के चेहरे पर महाजन का पैसा वापस करने का डर और फसल की चिंता साफ दिखाई देने लगी हैं. पिछले दिनों एक-दो दिन पानी पड़ने से किसानों के चेहरे पर खुशी दिखाई दे रहा था, लेकिन फिर से वही गर्मी चालू हो गई है.


किसानों का कहना है कि जुलाई माह में वर्षा होती थी, लेकिन इस बार नहीं हो रही है. किसानों को धान का बिचड़ा बचाने के लिए एक दो दिन बीच करके मोटर से पटवन करना पड़ रहा है. किसान अब भी आस लगाए बैठे हैं कि फिर से बारिश होगी और धान रोपाई का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो सकेगा.


बारिश की अभाव में लंबे जोत के किसानों ने पंपिंग सेट से खेतों में धान का बिचड़ा डाला है वो भी खेतों में सूखने लगे हैं. वहीं लेकिन छोटे व कम जोत वाले किसानों को यह भी संभव नहीं हो रहा है. उनके लिए तो मात्र बारिश ही एकमात्र साधन है. पिछले वर्ष भी जमा पूंजी लगाकर किसानों ने खेती की लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण धान के पौधे खेतों में ही सुख गये. गत वर्ष हुई सुखाड़ से इस बार भी किसान डरे सहमे हुए हैं और एक-दो दिन में बारिश नहीं हुई तो धान के खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना माना जा रहा है.
इनपुट- राज किशोर मधुकर 


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