दरभंगा एयरपोर्ट पर जल्द दिखेगी भागलपुर की बेटी शुभकामिनी की मोजेक कला
शुभकामिनी ने अपनी कला का बेहतर इस्तेमाल करते हुए टाइल्स के टुकड़े पर मोजेक कला का प्रदर्शन किया है. टाइल्स के टुकड़ों का इस्तेमाल कर खूबसूरत पेंटिंग बना रही है. इनकी कला को दरभंगा एयरपोर्ट पर देखा जा सकेगा
Bhagalpur: देश और दुनिया में अलग अलग तरह से कलाकारी करने वाले आर्टिस्ट हैं. कोई पेपर पर अपनी प्रतिभाओं को दिखाता है. कोई दीवारों पर तो कई रंगों के साथ अलग अलग तरह की पेंटिंग करता है. वहीं, बिहार के भागलपुर में शुभकामिनी नामक युवती के द्वारा बनाई गई मोजेक कला लोगों को खूब पसंद आ रही है. जो कि जल्द ही दरभंगा एयरपोर्ट पर दिखाई देगी.
दरभंगा एयरपोर्ट पर दिखेगी कला
दरअसल, भागलपुर के कहलगांव रानी दियारा की रहने वाली शुभकामिनी इन दिनों अपनी मोजेक कला को लेकर काफी चर्चा में बनी हुई है. शुभकामिनी ने अपनी कला का बेहतर इस्तेमाल करते हुए टाइल्स के टुकड़े पर मोजेक कला का प्रदर्शन किया है. टाइल्स के टुकड़ों का इस्तेमाल कर खूबसूरत पेंटिंग बना रही है. जानकारी के मुताबिक शुभकामिनी को अपनी आर्ट के लिए दरभंगा एयरपोर्ट से प्रोजेक्ट भी मिला है. अब इनकी कला को दरभंगा एयरपोर्ट पर देखा जा सकेगा.
दरभंगा एयरपोर्ट के लिए मिले कई प्रोजेक्ट
बताया जा रहा है कि शुभकामिनी ने पहले टाइल्स के छोटे छोटे टुकड़ों से राधा कृष्ण का मोजेक आर्ट बनाया था. जिसे दरभंगा एयरपोर्ट पर लगाया जा चुका है. जिसका अनावरण फिलहाल बाकी है. इसके अलावा श्री राम-सीता मिलन, सुदामा-कृष्ण मिलन समेत कई मोजेट आर्ट पर काम किया जा रहा है. जिसे एयरपोर्ट पर ही लगाया जाएगा. शुभकामिनी बताती हैं कि हमेशा से मन में कुछ अलग करने की सोच रही है. उन्होंने बताया कि मोजेक कला की ट्रेनिंग गोवा से ली है. इसके बाद भागलपुर में इस पर काम कर रही हैं. बिहार सरकार के अधिकारियों की ओर से दरभंगा एयरपोर्ट के लिए कुछ प्रोजेक्ट दिए गए हैं. जिसमें से एक एयरपोर्ट में लगाया जा चुका है और बाकी के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
लोग बन सकते हैं आत्मनिर्भर
मधुबनी पेंटिंग को मोजेक आर्ट बनाया गया है, इसके साथ मंजूषा पेंटिंग पर भी काम किया जाएगा. शुभकामिनी का कहना है कि कई लोगों ने इसे सीखने का प्रयास किया. साथ में कई लड़कियां भी इससे जुड़ी, लेकिन इतनी मेहनत का काम कोई कर नहीं सका. उन्होंने बताया कि एक प्रोजेक्ट पूरा करने में 1 महीने से ज्यादा का समय लगता है. इसे बनाने में उनकी बहन दिव्या साथ दे रही है. बिहार में इस तरह की कला कम ही देखने को मिलती है. इस तरह कला को विकसित करने की जरूरत है ताकि और लोग आत्मनिर्भर बनकर अपना जीवन यापन कर सकें.
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