Munger: हवेली खड़गपुर प्रखंड के बैजलपुर पंचायत के प्रसन्नडो गांव स्थित वार्ड संख्या-10 निवासी प्रकाश नारायण सिंह कि पत्नी की कोरोना से मौत हो गई. मौत के बाद परिजन बिना पीपीई कीट के ही गांव से शव को दाह-संस्कार के लिए मुंगेर ले गए. इसमें उनके परिवार के कुछ संक्रमित सदस्य भी शामिल है. जिन्हें होम आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए गए थे.


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जानकारी के अनुसार, दो दिन पूर्व महिला को सांस लेने में दिक्कत हुई थी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हवेली खड़गपुर में महिला को इलाज के लिए लाया गया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. लाल बहादुर गुप्ता ने बताया कि कोविड जांच में महिला पॉजेटिव पाई गई. ऐसे में महिला को सांस लेने में भारी समस्या आ रही थी. गंभीर स्थिति को देखते हुए महिला को मुंगेर रेफर कर दिया गया. लेकिन महिला के पारिवारिक सदस्य एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य हिमांशु कुमार सिंह ने बताया कि 'सांस लेने में परेशानी के बाद रेफर की गई मेरी दादी को मुंगेर के अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया. जिसके बाद परिजनों के द्वारा मंगलवार घर वापस लाया गया. यहां ऑक्सीजन कि कमी से हो रही परेशानी से जूझते हुए गुरुवार की सुबह उनकी मौत हो गई.'


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उन्होंने बताया कि कोविड से मृत महिला के परिवार में कई सदस्य पॉजेटिव है. ऐसे में दाह-संस्कार के लिए कोई वाहन तैयार नहीं हुआ. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. एलबी गुप्ता को भी इस परिस्थिति की जानकारी दी गई. लेकिन जिले में मोर्चरी वाहन की कमी की बात बताई गई. लेकिन डा. गुप्ता ने दाह संस्कार के लिए एतिहात को लेकर हिमांशु कुमार सिंह को पांच पीपीई कीट उपलब्ध कराई. 


इधर, बताया जा रहा है कि मृतक महिला के दाह संस्कार में जाने वाले जो परिवार के सदस्य पॉजेटिव थे, उन्होंने ही शव को कंधा देकर ट्रेक्टर के माध्यम मुंगेर स्थित विद्युत शवदाह गृह लाया. सबसे दिलचस्प बात है कि कोविड से हुई महिला की मौत के बाद ग्रामीण और अन्य परिजन भयभीत रहे और कुछ सदस्य जिनमे उनके पुत्र और पौत्र ने शव को मुंगेर पहुंचाया. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कोविड से मृत महिला को मुंगेर पहुंचने वाले अधिकांश परिवार के सदस्य में लोग संक्रमित ही है. ऐसे में इस लापरवाही से संक्रमण फैलने की भी आशंका है.


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इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. लाल बहादुर गुप्ता ने कहा, 'महिला के शव को शवदाह के लिए ले जाने के लिए मोर्चरी वाहन उपलब्ध नहीं था. ऐसे में हमने शव उठाने के लिए पांच पीपीई कीट भी उपलब्ध कराईं लेकिन जब वे उसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तो क्या कहा जा सकता है.'


(इनपुट- प्रशांत)