Who is Pallavi: जमुई जिले की पल्लवी ने तमाम आर्थिक तंगी के बावजूद अपने सपनों को नहीं छोड़ा और उसके लिए दिन-रात एक कर दिया. माता-पिता ने भी अपने बेटी का सपना पूरा करने के लिए हर कदम से गुजर जाने का फैसला किया. इसका परिणाम ये है कि पल्लवी राज्य का नाम रोशन करने के लिए जी जान से मेहनत कर रहीं हैं. 


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बिहार टीम का प्रतिनिधित्व करेगी पल्लवी
दरअसल, यह कहानी जमुई जिले के रहने वाली पल्लवी कुमारी की है, जो सातवीं कक्षा की छात्रा हैं. जमुई जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर काकन गांव में एक गरीब परिवार की रहने वाली पल्लवी कुमारी का चयन नेशनल ताइक्वांडो कंपटीशन के लिए बिहार टीम से किया गया है. वह आगामी 22 जनवरी से दमन में आयोजित होने वाले इस कंपटीशन में हिस्सा लेगी और 30 से 32 किलोग्राम भार वर्ग में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व करेगी.


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पिता करतें हैं खेती बाड़ी और मजदूरी
पल्लवी ने बताया कि उसके पिता खेती बाड़ी और मजदूरी किया करते हैं. उनके परिवार की माली हालत काफी खराब है. पिता के पास इतने पैसे नहीं है कि वह बेटी को ताइक्वांडो की अच्छी ट्रेनिंग दिला सकें और ना ही इतने पैसे हैं कि वह उसे अन्य बड़े शहरों में भेज कर अपनी बेटी को इस खेल के लिए तैयार कर सके. पल्लवी सरकारी स्कूल में पढ़ती है और वहीं, की कस्तूरबा छात्रावास में रहती है. प्रतिदिन रोहित कुमार उसे ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देते हैं.  बीते दिनों पटना में आयोजित हुए नेशनल ट्रायल में शामिल होने के लिए पल्लवी पटना गई थी, जहां उनके बेहतर प्रदर्शन को देखने के बाद उसका चयन बिहार टीम में कर लिया गया है और वह अब राष्ट्रीय कंपटीशन में हिस्सा लेंगी.


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पल्लवी को आर्थिक तंगी भी नहीं रोक पाई 
पल्लवी ने बताया कि उसके पिता ने पटना जाने के लिए पैसों का बंदोबस्त कर्ज लेकर किया था. पल्लवी को इससे पहले भी ट्रायल के लिए बेगूसराय जाना था तभी, पैसे की दिक्कत आने आ रही थी. लेकिन पिता ने किसी तरह उन पैसों का बंदोबस्त किया था. पल्लवी के पिता का सपना है कि वह अपनी बेटी को एक बड़े खिलाड़ी के रूप में देखें तथा उसे सफल होता देखे. यही कारण है कि वह दिन-रात एक करके मेहनत कर अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने में जुटे हुए हैं. उनकी यही कोशिश रहती है की बेटी के सफलता के बीच में आर्थिक तंगी कभी आड़े नहीं आ सके.


रिपोर्ट: अभिषेक निरला