BPSC Success Story: 20 साल की उम्र में बक्सर की चित्रा बनीं DSP, कोचिंग की नहीं थी फीस घर पर रहकर की तैयारी
DSP Chitra Kumari: बक्सर की रहने वाली चित्रा सिंह ने 20 साल की उम्र में बीपीएससी परीक्षा पास कर सफलता हासिल की है. आजकल वे राजगीर पुलिस अकादमी में डीएसपी की ट्रेनिंग कर रही हैं.
BPSC Success Story: बीपीएससी परीक्षा को पास करना आसान नहीं होता, लेकिन जब मेहनत और जुनून हो, तो सफलता जरूर मिलती है. यही कहानी है चित्रा कुमारी की, जो बक्सर के एक साधारण परिवार से आती हैं. आजकल वे राजगीर पुलिस अकादमी में डीएसपी की ट्रेनिंग कर रही हैं. उनकी ट्रेनिंग इतनी कठिन है कि परिवार से बात करने का समय भी मुश्किल से मिलता है. बता दें कि चित्रा ने बक्सर के सरकारी स्कूल से पढ़ाई के बाद घर पर ही ऑनलाइन कोर्स ज्वाइन पढ़ाई की. उन्होंने महज 20 साल की उम्र में बीपीएससी परीक्षा पास कर सफलता हासिल की है.
पिता ने शिक्षा के लिए बेची जमीन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चित्रा के पिता सुरेश प्रसाद ने पहले बैंक में काम किया, लेकिन किसी कारण वर्ष 2008 में उन्होंने अपनी नौकरी खो दी. बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की रुकावट ना आए इसके लिए उन्होंने सोहनी पट्टी में अपनी दो कट्ठा जमीन बेच दी. इसके बाद उन्होंने सारा पैसे बैंक में जमा कर दिया गया और उससे मिलने वाले ब्याज से परिवार का खर्च चलाते रहे.
मां का महत्वपूर्ण योगदान
बता दें कि चित्रा की मां रचना देवी बच्चों की पढ़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं. वे गृहणी हैं और मैट्रिक तक पढ़ी हैं. रचना ने बच्चों को रोज पढ़ाई के लिए टास्क दिए और उन्हें मोबाइल से दूर रखा. चित्रा के बड़े भाई लरवीन कुमार भी बीपीएससी में अच्छी रैंक हासिल की थी और वो दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे. हालांकि, कोरोना काल के दौरान उनको दिल्ली से बक्सर लौटना पड़ा, लेकिन दिल्ली से मिली स्टडी मटेरियल ने उनकी तैयारी में मदद की.
साझा लैपटॉप से पढ़ाई का सफर
बेटी चित्रा और उनके भाई-बहन ने पढ़ाई के लिए घर में एक ही लैपटॉप का इस्तेमाल किया. आर्थिक स्थिति को देखते हुए सबने तय किया कि वे घर पर रहकर बीपीएससी की तैयारी करेंगे. उन्होंने घर को ही अपना कोचिंग बना लिया और इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन कोर्स ज्वाइन कर लिया. जिस तरह कोचिंग में तैयारी करते थे ठीक उसी पैटर्न पर पढ़ाई शुरू कर दी. चित्रा ने इस कामयाबी का सारा श्रेय अपनी मां और पिता को दिया है. वे मानती हैं कि मां और पिता की मेहनत और समर्थन के बिना यह संभव नहीं हो पाता.
साथ ही चित्रा की कहानी यह साबित करती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है. उनकी मेहनत और परिवार का समर्थन उन्हें इस मुकाम पर लाने में मददगार साबित हुआ. अब, वे न सिर्फ अपने परिवार के लिए प्रेरणा बन गई है, बल्कि उन सभी के लिए भी जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात एक करके मेहनत कर रहे हैं.
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