आग लाग जाता... यह एक भोजपुरी गाने का बोल है, जिसके आगे के शब्द हम लिख भी नहीं सकते. ऐसे गाने रिलीज हो रहे हैं. सार्वजनिक मंचों से इसका भौंड़े तरीके से प्रदर्शन किया जा रहा है और उस पर अश्लील डांस हो रहे हैं और पुलिस को कानोंकान खबर तक नहीं है. सोशल मीडिया का आकर्षण पाने और मिलियंस व्यूज पाने के लिए कलाकार अब कुछ भी कर रहे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि पिछले साल भोजपुरी के अश्लील गानों को सख्ती दिखा रही पुलिस कुछ भी करने में नाकाम साबित हो रही है. गाने के बोल इतने अश्लील हैं तो समझिए पूरा गाना कैसा होगा. इस गाने से हम क्या हासिल करना चाहते हैं और इसमें किस तरह की कलाकारी दिखाना चाहते हैं. गाने को स्वर दिया है अर्जुन लाल यादव और रीना यादव ने. गीत संजीत मदहोशी ने लिखा है तो संगीत दिया है चांदनी शर्मा ने. पता नहीं, ये लोग भी अपने परिवार में इस गाने का जिक्र या फिक्र कर पा रहे होंगे कि नहीं.


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आपको पता ही होगा कि देश के प्रधानमंत्री का लोकसभा क्षेत्र विशुद्ध भोजपुरी बेल्ट में आता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी बेल्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशासनिक हिस्से में भोजपुरी का लंबा चौड़ा क्षेत्र है. क्या इस गाने के बारे में यूपी और बिहार के मुख्यमंत्री के अलावा प्रधानंमंत्री कार्यालय को खबर नहीं लगी होगी. क्या भोजपुरी सिनेमा अब बेलगाम हो चला है. क्षेत्रीय भाषाई आजादी की कुछ तो मर्यादा होनी चाहिए. आखिर हम एक सभ्य समाज में रहने का दावा करते आ रहे हैं. अगर ये अश्लीलता नहीं है तो माफ करना दुनिया में कुछ भी अश्लील नहीं है. 


डेढ़ साल पहले ही मार्च 2023 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद में अश्लील गानों को लेकर सदस्यों का आक्रोश देखने को मिला था और सरकार से मांग की गई थी कि ऐसे गानों पर रोक लगाई जाए. बिहार पुलिस मुख्यालय ने भी सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को एक एडवाइजरी जारी कर भोजपुरी के अश्लील गानों पर कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन इन सबके बाद भी आग लाग जाता... गाना रिलीज हो जाता है और अब तक किसी ने इसके खिलाफ आवाज तक नहीं उठाई. विपक्षी दलों की यह मजबूरी हो सकती है कि इसमें मुख्य पात्र यादव समाज से हैं और वह उनका कोर वोट बैंक है, लेकिन सत्तापक्ष की आखिर क्या मजबूरी है.


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पता नहीं इस गाने को लेकर बिहार का पुलिस प्रशासन कब तक जागेगा और जब तक जागेगा, तब तक यह गाना कितना कमाल दिखा चुका होगा. अब तक चोली, लहंगा, ढोड़ी, चुम्माचाटी आदि को लेकर डबल मीनिंग गाने सुनते चले आ रहे थे पर अब तो खुल्लम खेल फर्रुखाबादी वाला हिसाब हो गया है. क्या भोजपुरी सिनेमा ऐसे ही गानों और फिल्मों के बल पर बॉलीवुड और साउथ की फिल्म इंडस्ट्री से टक्कर लेगा. क्षेत्रीय भाषा में तो साउथ इंडिया में भी फिल्में बनती हैं और आस्कर में नॉमिनेट भी होती हैं. यही कारण है कि भोजपुरी फिल्में आस्कर तो छोड़िए, फिल्म फेयर या नेशनल अवार्ड के लिए भी नॉमिनेट नहीं होती. 


पिछले साल बिहार विधानसभा के बजट सत्र में विधानसभा में कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास ने भोजपुरी के अश्लील गानों का मुद्दा उठाया था और सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की थी. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के ​जरिए विधायक प्रतिमा दास ने सरकार से सवाल पूछा था कि जिस तरह के अश्लील गानें बनाए जा रहे हैं, उसमें किसी का रोक टोक नहीं है. भोजपुरी गायक अश्लीलता की पराकाष्ठा लांघ रहे है, जिसे परिवार के साथ देख और सुन भी नहीं सकते. तब सरकार ने आश्वासन दिया था कि भोजपुरी गाने को लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 


उधर, विधान परिषद में राजद के तत्कालीन एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने भी भोजपुरी गानों को लेकर सरकार से नाराजगी जताई थी. सुनील सिंह ने कहा था, पूरी दुनिया में 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं. जब शराबबंदी के लिए कानून बनाया जा सकता है तो भोजपुरी अश्लील गानों को लेकर क्यों नहीं. सुनील सिंह ने कहा था, भोजपुरी भाषा की जो मिठास है, वो कोयल की बोली से कम नहीं है लेकिन अश्लील गानों ने भोजपुरी भाषा को बदनाम कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने भोजपुरी में अश्लील गानों के चलन का आरोप भाजपा पर मढ़ते हुए कहा कि जितने भी अश्लील गायक थे, सभी को भाजपा ने सांसद बना दिया. 


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यह कहते हुए सुनील कुमार सिंह ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन और दिनेशलाल यादव उर्फ निरहुआ का जिक्र किया था. बता दें कि निरहुआ पिछले लोकसभा में आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे पर इस बार वे हार गए हैं. सुनील कुमार सिंह ने यह भी मांग की कि भोजपुरी गाने को लांच करने से पहले उसकी परख होनी चाहिए. सुनील कुमार सिंह ने कहा था कि भाजपा से जुड़े लोग ही अश्लील गाने गा रहे हैं और उसको बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.