Bhojpuri Bol Bam Song: सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. इस महीन के हर सोमवार को भोले के भक्त शिवालय में जाकर जल शिव को अर्पित करते हैं. वहीं, कांवड़िए पदल चलकर शिव को खुश करने के लिए जल लेकर शिव मंदिर में जाते हैं. साथ डीजे लेकर चलते हैं और भोले को खुश करने के लिए गाना बजाते हुए मस्ती में झुमते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा आखिर भोजपुरी गाने जब सावन में आते हैं तो वह किस प्रकार के होते हैं. इनमें ज्यादातर नशे जैसी समाग्री पर क्यों सॉन्ग बनते हैं. क्या भोले बाबा नशेड़ी थे? भगवान शिव की छवि को भोजपुरी सिंगर इस तरह से क्यों पेश करते हैं? 


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भगवान शिव की नशेड़ी छवि पर गाने वालों में भोजपुरी का कोई भी कलाकार पीछे नहीं है. चाहे वह खेसारी लाल यादव हो, पवन सिंह हो, निरहुआ हो, रितेश पांडे हो, अरविंद अकेला कल्लू हो, प्रमोद प्रेमी हो या नीलकमल सिंह हो या कोई और सिंगर. आप सभी के बोलबम वाले गाने उठा कर देख लीजिए, सबके सावन के गाने एक समान होंगे और शिव की छवि नशेड़ी वाली होगी. कांवड़ लेकर जाने वाले नशा करने वाले बताए गए होंगे.


हर साल ऐसे ही बोलबम गाने भोजपुरी सिंगर बनाते हैं और रिलीज करते हैं. इस साल सावन में ऐसा ही हो रहा है. खेसारी लाल यादव का एक गाना बोलबम सॉन्ग आया था. 'मजनुआ के भाड़ा से' इसमें शिव की पूजा करने जाने के लिए प्रेमिका का मजनुआ के भाड़ा से जाने की बात कही जा रही है. है ना! ये कमाल शिव की भक्ति करनी है तो मजनुआ से पैसे लेना है. खैर, खेसारी ऐसे गाने गाते रहते हैं. वहीं, अरविंद अकेला कल्लू का बोलबम का गाना 'गाड़ी सांय सांय' इसमें गांजा पीकर शिव की पूजा करने जाने की महिमा मंडन की गई है. पवन सिंह का भक्ति सॉन्ग 'कुवारी में सोमवारी'. ' टुनटुन यादव का गाना 'महादेव के मजनुआ दिवाना हS'. नीलकमल सिंह का भक्ति गाना 'लागे बाबा के भंगिया रसगुल्ला'. 



भोजपुरी के ऐसे ही बहुत सारे गानों से यूट्यूब भरा पड़ा है. छोटा सिंगर हो या बड़ा सिंगर सावन में इस तरह के गाने रिलीज करने में कोई भी पीछे नहीं रहा है. सबसे बड़ी बात की ये गाने कांवड़ यात्रा के दौरान खूब बजाए जाते है. कांवड़ लेकर जा रहे भक्त भी मस्ती में चलते हैं. अब सोचने वाली बात है कि भोजपुरी सिंगर ऐसे बोलबम सॉन्ग क्यों बनाते हैं? क्या भोले के भक्त इन गानों का विरोध नहीं कर सकते?