Ramchandra Manjhi: नहीं रहे भोजपुरी लौंडा नाच के मशहूर रामचंद्र मांझी, सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक
Ramchandra Manjhi: छपरा के पद्म श्री रामचन्द्र मांझी का निधन हो गया है. भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे रामचंद्र मांझी को लौंडा नाच के लिए जाना जाता था. इनके निधन के बाद अब भोजपुरी लौंडा डांस के एक युग का अंत हो गया.
पटनाः Ramchandra Manjhi: छपरा के पद्म श्री रामचन्द्र मांझी जिंदगी की जंग हार गये और 97 वर्ष की उम्र में इलाज के दौरान उनका निधन आईजीएमएस अस्पताल पटना में हो गई. उन्होंने भोजपुरी लोक नृत्य 'लौंडा नाच' को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में मांझी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मांझी के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दुख जताया है.
2 सितंबर से थी तबीयत खराब
मांझी के परिजनों के मुताबिक, लोक नर्तक मांझी को 2 सितंबर को तबीयत खराब होने के बाद पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. वें दिल से संबंधित समस्याओं और अन्य बीमारियों से परेशान थे. बुधवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली. मांझी के निधन पर बिहार के कला क्षेत्र में मायूसी छा गई है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पद्म श्री रामचंद्र मांझी ने भोजपुरी नृत्य संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. मांझी को 2017 में संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला था. मांझी को पिछले साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके निधन से नृत्य, कला और संस्कृति विशेषकर भोजपुरी नृत्य संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा को चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. इधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी लोक कलाकार मांझी के निधन पर शोक जताया है. लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी मांझी के निधन पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि रामचंद्र मांझी का बुधवार रात आईजीआईएमएस में निधन हो गया. पद्म श्री रामचंद्र मांझी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, 'लौंडा नाच परंपरा के इस महान संवाहक का चले जाना, जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखिरी कड़ी थे, संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्ययन के लिए एक अपूरणीय क्षति है.'
भोजपुरी लौंडा डांस के एक युग का हुआ अंत
एक कलाकार का दर्द कभी भी जुबान तक नहीं आया. रामचंद्र मांझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का वह सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया. जिसमें संभावनाएं अपार थी. जिसने इस विस्मृत हो रही लोक कला को पुनर्जीवित करने की आशा की किरण जगाई थी. भोजपुरी में तब नाच का मतलब समाज की एक दिशा देने का तात्पर्य होता था. आज के युग में भोजपुरी सिर्फ अश्लीलता ही है. इनके निधन के बाद अब भोजपुरी लौंडा डांस के एक युग का अंत हो गया.
(इनपुट-आईएएनएस)
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