PHOTOS: चौंकिए नहीं! ये बेगूसराय के सरकारी अस्पताल की तस्वीरें हैं...
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PHOTOS: चौंकिए नहीं! ये बेगूसराय के सरकारी अस्पताल की तस्वीरें हैं...

वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित कायाकल्प पुरस्कार में यह अस्पताल बिहार में पहला स्थान हासिल किया.

स्थानीय प्रशासन ने बदल दी सरकारी अस्पताल की तस्वीर.

बेगूसराय : जब कभी भी सरकारी अस्पतालों की चर्चा होती है तो जेहन में कुव्यवस्था, संसाधानों का अभाव, डॉक्टरों की कमी जैसी तस्वीरें उभर जाती है. यही वजह है कि पैसों की किल्लत के बावजूद परिजन सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ले जाने से गुरेज करते हैं. लेकिन, आज हम बिहार के बेगूसराय के सदर अस्पताल की तस्वीरों से आपको रू-ब-रू करवा रहे हैं, जो आपकी धारना बदल देगी.

वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित कायाकल्प पुरस्कार में भी यह अस्पताल बिहार में पहला स्थान हासिल किया. वहीं, 2017 में दूसरे स्थान पर रहा था. पुरस्कार के तौर पर अस्पताल प्रबंधन को 20 लाख रुपए मिले. नियम को मुताबिक, पुरस्कार राशि का एक चौथाई हिस्सा कर्मचारियों में बंटता, लेकिन अधिकांश लोगों ने पैसे नहीं ली और उसे विकास में लगा दिया गया.

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बेगूसराय सदर अस्पताल की तस्वीरें सोशल मीडिया में भी वायरल हो रही है. लोग सराहना कर रहे हैं. जिलाधिकारी राहुल कुमार बताते हैं, 'बेगूसराय पोस्टिंग होने के बाद एक दिन सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. परिसर में कई प्राइवेट एंबुलेंस खड़े थे. प्राइवेट अस्पताल के दलाल घूम रहे थे. कई को मैंने खुद पकड़ा और उसी दिन व्यवस्था बदलने की ठान ली.'

डीएम का कहना है कि सदर अस्पताल के कायाकाल्प का श्रेय यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों को जाता है. सभी ने खूब मेहनत की है. उन्होंने कहा कि हमने डॉक्टर की उपलब्धता से लेकर संसाधन की सुविधा में सुधार लाने के लिए कई प्रयास किए. अस्पताल आने वाले मरीजों और उनके परिजनों से परिसर को साफ-सुथरा रखने की अपील की गई. साथ ही कूड़ा प्रबंधन का खास ध्यान रखा गया. जिलाधिकारी का कहना है कि अब हमरा लक्ष्य जिला के सभी सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने का है.

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साथ ही उन्होंने बाताया कि आज जिला के पास सगभग 35 सरकारी एंबुलेंस हैं, जो किसी भी वक्त ग्रामीण इलाकों से भी मरीजों को लाने के लिए तैयार रहती है. वहीं, सुपरिटेंडेंट डॉ आनंद शर्मा बताते हैं कि इस अस्पताल की स्थापना 1972 में हुई थी. जब वह यहां आए तो पूरे अस्पताल परिसर में अंधेरा रहता था. कुत्ते घूमा करते थे. नर्स काम नहीं कर पाती थी. प्राइवेट अस्पताल वालों का बोलबाला था. उनके दलाल मरीजों को फंसाते रहते थे. अस्पतला के अंदर रोशनी नहीं थी. स्थिति सुधारने के बाद 2017 में कालायकल्प पुरस्कार के लिए आवेदन किया. सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए. नर्सों को ट्रेनिंग दी गई. साथ ही डॉक्टरों को समय पर आने के लिए कहा.

डॉ. शर्मा ने बताया कि 2017 में कायाकल्प पुरस्कार मिला. हम दूसरे स्थान पर रहे. 15 लाख की राशि को विकास के लिए और 5 लाख रुपए कर्मचारियों के लिए मिली. अधिकांश कर्मचारियों ने पैसे अस्पताल के विकास के लिए छोड़ दी. इन पैसों से गार्डन बनवाया गया, ऑडियो सिस्टम लगाए गऐ. पार्किंग की व्यवस्था की गई. ज्ञात हो कि 2018 में बेगूसराय सदर अस्पताल को बिहार में प्रथम पुरस्कार मिला. इसके तहत 50 लाख रुपए की राशि मिलेगी, जिसमें से 12.5 लाख रुपए कर्मचारियों के लिए और 37.50 लाख से विकास काम होगा.