पटना : बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच की स्थति सुधारकर उसे विश्वस्तरीय बनाने की तैयारी हो रही है. बिहार सरकार ने इसके लिए खर्च होने वाली राशि की स्वीकृति दे दी है. प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक पीएमएसएच को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने के लिए 5500 करोड़ से ज्यादा पैसे खर्च होंगे. इस अस्पताल में पांच हजार से अधिक बेड की सुविधा होगी. 50 वर्षों की चुनौतियों को आधार बनाकर काम किया जा रहा है.


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पीएमसीएच एक ऐसा अस्पताल है, जहां पूरे बिहार से मरीज इस उम्मीद से आते हैं कि उनका यहां सही तरह से इलाज होगा. सच्चाई भी है कि जब बड़े-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल अपने हाथ खड़े कर देते हैं ऐसी परिस्थितियों में पीएमसीएच के डॉक्टर ही काम आते हैं. यहां मरीजों की लंबी कतारें लगी रहती हैं. लिहाजा मरीजों के दबाव के तले पीएमएसीएच की व्यवस्थाएं भी लड़खड़ा जाती हैं.



काफी दिनों से पीएमसीएच में सुविधाएं बढ़ाने की मांग हो रही थी. अब नीतीश सरकार ने पीएमसीएच के लिए 5500 करोड़ से ज्यादा की राशि पीएमसीएच के लिए मंजूर की है. बिहार सरकार ने पीएमसीएच को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने के लिए एक टीम बनाकर देश के सभी बड़े अस्पतालों का जायजा लेने के लिए भेजा था. टीम की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने यह तय किया कि पीएमसीएच को इस लायक बनाया जाए कि वो अगले 50 साल तक मेडिकल साइंस की सुविधाओं से लैस हो.


दरअसल बिहार के मरीज काफी संख्या में बिहार से बाहर इलाज कराने जाते हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी कमी के कारण लोग पैसे होने के बावजूद बिहार में इलाज नहीं करा पाते हैं. मजबूरन उन्हें दिल्ली, बेंगलुरू और मुंबई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता है.


  • पीएमसीएच में एक बिल्डिंग बनाई जाएगी, जिसमें इमरजेंसी, आईसीयू, आउटडोर यानी ओपीडी का होगा निर्माण.

  • बिल्डिंग मरीन ड्राइव से जुड़ी होगी, जो सीधे तौर से गांधी मैदान से आने वाले नए रास्ते से जुड़ी होगी.

  • पीएमसीएच में हैलिपैड बनाया जाएगा, जिससे कि आपात स्थिति में एयर एंबुलेंस उतर सके.

  • गांधी मैदान से पीएमसीएच तक एलिवेटेड रोड बनाया जाएगा.

  • पीडियाट्रिक, गायनिक, मेडिसीन, ट्रॉमा सेंटर, जेनेटिक और न्यूरो यूनिट की स्थापना होगी.


बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम कर चुके और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर भी मानते हैं कि पीएमसीएच के विस्तार की जरूरत है, जिससे कि राज्य के मरीजों को भटकना नहीं पड़े. दूसरी तरफ पीएमसीएच के अधीक्षक डॉक्टर राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि उनके पास जो सुविधाएं उससे इलाज तो हो रहा है, लेकिन बदलती जरूरत और बढ़ती जनसंख्या के साथ पीएमसीएच की क्षमता बढाई जाए. पीएमसीएच में भर्ती मरीजों के परिजनों के मुताबिक, यहां सुविधाओं का अभाव है. डॉक्टर तो यहां के योग्य हैं, लेकिन बेड की कमी बड़ी समस्या है. कभी-कभी दवाई के लिए भी बाहर जाना पड़ता है.


बिहार सरकार ने पीएमसीएच की स्थिति सुधारने के लिए खजाना खोलने का मन बना लिया है. उम्मीद है कि 5500 करोड़ की लागत से पीएमसीएच वर्ल्ड क्लास हॉस्पीटल बनकर तैयार होगा, जिससे ना सिर्फ बिहार बल्कि दूसरे राज्यों के मरीजों का यहां बेहतर इलाज होगा.