Patna: बिहार के बक्सर में गंगा के किनारे बसा रामरेखा घाट एक प्रसिद्ध स्थल है. कहा जाता है कि भगवान राम ने ताड़का का वध कर यहां स्नान किया था. पूरे भारत में लोग इस जगह को शायद इसी वजह से जानते होगें. लेकिन इसी घाट के पास एक छोटा सा गांव बला है गेरुआबंध. यहां सालों पहले ना बिजली थी, ना सड़क, ना अस्पताल. यहां तक की ये गावं स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी कटा हुआ था.


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11 फरवरी 1961 को इसी गावं में एक बच्चे का जन्म हुआ. किसने सोचा था कि ऐसे छोटे से गांव में पैदा हुआ ये बच्चा आम बच्चों से हटकर कुछ ऐसा कर जाएगा जिसे सालों तक याद किया जाएगा. आम बच्चों की तरह उसे भी अपने तौर-तरीकों के साथ रहना सिखाया गया. लेकिन 10 साल बाद उस बच्चे के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उसे बाकी लोगों से हटकर अपनी अलग पहचान बनाने पर मजबूर कर दिया.


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दरअसल, जब वह 10 साल का था तो उसके घर कुछ चोरों ने चोरी की घटना को अंजाम दिया, जिसके चलते उसके माता-पिता ने पुलिस मे एआईआर दर्ज कराई. पुलिस छानबीन करने घर आई तो चोरों को पकड़ने की बजाए उल्टा लड़के के माता-पिता से बदतमीजी करने लगी. यह देख बच्चे ने ठान लिया कि एक दिन बड़ा होकर वह भी पुलिस वाला बनेगा और ऐसे लोगों को सही राह पर लाएगा जो वर्दी पहन लोगों की रक्षा करने की बजाए उनपर अपनी मनमानी करते है.


सोच तो लिया था लेकिन यह रास्ता इतना आसान नहीं था. गावं में पढ़ने के लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं थी. उम्र कच्ची थी पर इरादे उतने ही मजबूत. पढ़ने के लिए नदी-नाला पार कर दूसरे गांव के स्कूल में जाना शुरू किया. वहां भी हालात कुछ बेहतर नही थे.


स्कूल में ना कोई बेंच थी, ना डेस्क और ना ही कुर्सी. गुरूजी चारपाई पर बैठते थे तो छात्र बोरे या जूट के टाट पर. पढ़ाई भी ठेठ भोजपुरी में होती थी. इन सब परिस्थितियों में भी उसने हार ना मानते हुए खूब मेहनत की. Physics और Chemistry समझ नहीं आती थी जिसके चलते 11वीं में फेल हुआ. फिर आगे की पढ़ाई आर्ट सब्जेक्ट लेकर शुरू की. 


बच्चा बड़ा हो गया था. स्कूल पूरा करने के बाद वह पटना आया. पटना यूनिवर्सिटी (Patna University) में संस्कृत ऑनर्स में दाखिला लिया और संस्कृत से पहले BA और फिर MA. किया. बाद में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा भी दी जिसके पहले प्रयास में निराशा से अलग कुछ हासिल नहीं हुआ. 


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हौसले बुलंद थे 1986 फिर प्रयास किया और भारतीय राजस्व सेवा के लिए चयन हुआ. यहां से उड़ाने और ऊंची होती गई. 1987 में UPSC के  बैच में अखिल भारतीय सेवा (All India Services) के तहत भारतीय पुलिस सेवा  IPS) के लिए चुना गया.



गेरुआबंध जैसे गांव से निकलकर आज वो IPS बन चुका था. 'IPS गुप्तेश्वर पांडे' जिसको आज बिहार के लोग 'रॉबिनहुड पांडे' के नाम से भी जानते हैं. 


बिहार कैडर मिला, जिसके बाद भी गुप्तेश्वर अपनी सोच पर अटल रहे. 10 साल की उम्र में जैसा उन्होंने सोचा था उसी को अपने जीवन का सार बना लिया और पुलिस प्रशासन और समाज के विभिन्न तबकों के बीच एक विश्वासपरक रिश्ता कायम करने का भरपूर प्रयास किया.


डीजीपी बने पर उससे पहले 32 साल के करियर में गुप्तेश्वर पांडे ने एएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी और आईजी के रूप में बिहार के 26 जिलों में सेवाएं दीं. इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी घटी जिन्होंने गुप्तेश्वर पांडे का नाम इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया. 


SP रहते हुए किए थे 42 एनकाउंटर
एक इंटरव्यू में गुप्तेश्वर पांडे ने बताया था कि '90 का दशक था उस समय बिहार में शायद ही किसी ने AK-47 या AK-56 राइफल का नाम सुना होगा. लेकिन बेगूसराय एक ऐसी जगह थी, जहां के नामी अपराधी अशोक सम्राट के बारे में कहा जाता था कि उसके गिरोह के पास उस वक्त एके-47 राइफल थी. अशोक का खौफ ऐसा था कि बेगूसराय में उसकी सरकार चला करती थी. अंडरवर्ल्ड में उसकी तूती बोलती थी. रेलवे के टेंडरों पर एकछत्र राज होता था. बेगूसराय में उन दिनों क्राइम चरम पर था.' 


इसे देखते हुए तेजतर्रार IPS गुप्तेश्वर पांडेय को बेगूसराय भेजा गया. जहां उन्होंने एनकाउंटरों में कई नामी क्रिमिनल्स का खात्मा किया. पांडे ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अशोक सम्राट के कई ठिकानों पर रेड मारी और एके-47 बरामद कीं. इतना ही नहीं, बल्कि बेगुसराय में गुप्तेश्वर पांडे ने एसपी रहते हुए करीब 42 एनकाउंटर किए. 



केस के सिलसिले में गमछा पहन नदी में लगा दी थी छलांग
एक बार तो वह गोपालगंज जिले में रोहित जायसवाल के मर्डर केस को सुलझाने के सिलसिले में वर्दी उतार सर पर गमछा बांध नदी में कूद गए. 


मुजफ्फरपुर का नवरुणा केस
अपने कार्यालय के दौरान पांडे ने खूब सुर्खियां बटोरी लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं, जिनकी गुत्थी सुलझा पाने में वह नाकाम रहे. 


मुजफ्फरपुर का नवरुणा केस भी ऐसा ही मामला था, जहां स्कूल जाने वाली एक लड़की का अपहरण हो गया और उसका आज तक कुछ पता नहीं चल पाया. इसी कारण नवरुणा के परिजनों की आज तक गुप्तेश्वर पांडे से शिकायत बनी हुई है.


अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का केस
कार्यकाल के अंतिम दिनों में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ बयानबाजी और महाराष्ट्र पुलिस से टकराव. यह भी कुछ ऐसे मामले हैं जिसके चलते लोगों ने अपने-अपने हिसाब से गुप्तेश्वर पांडे की छवि अपने दिमाग में बना ली.



ऐसे पड़ा 'रॉबिनहुड पांडे' नाम
दरअसल, बिग बॉस फेम दीपक गुप्तेश्वर पांडे के लिए एक गाना लिखा जिसे दो दिन में करीब दो लाख लोगों ने देखाकर वायरल कर दिया. इसके बाद से ही गुप्तेश्वर पांडे को लोग 'रॉबिनहुड पांडे' के नाम से भी जाने लगे.  


गाने में पांडे की आंखों की तुलना बाघ की आंखो से की गई है. 'डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, रॉबिनहुड बिहार के' बार-बार कहा गया है. गाने में पांडे को वर्दी में दिखाया गया है.



अपनी कार्यशैली के दौरान किए गए कार्यों को लेकर आज भी गुप्तेश्वर पांडे की सराहना हर कोई करता है. 


'रॉबिनहुड पधारे हैं इलाका धुंआ-धुंआ होगा, ये हत्यारे को रख देते हैं फाड़ के'


अपने कार्यकाल में उन्होंने करीब 400 दागी अधिकारी बाहर किए, वहीं कई होनहार अधिकारियों को सम्मानित भी किया किया. 


बातें चाहे जैसी भी बनाई जाती हो लेकिन इतनी कच्ची उम्र में इतने मजबूत इरादे लेकर छोटे से गांव से डीजीपी तक का सफर तय करना आसान तो बिल्कुल भी नहीं था. गुप्तेश्वर पांडे की कहानी वाकई प्रेरित करने वाली है.