रामलीला में सीता बनकर रवि किशन को मिली थी शोहरत, घर आकर खूब होती थी सुताई
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रामलीला में सीता बनकर रवि किशन को मिली थी शोहरत, घर आकर खूब होती थी सुताई

Bihar Samachar: रवि किशन केवल भोजपुरी सिनेमा के एक्टर बनकर नहीं रहे है बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में एक मशहूर अभिनेता के रूप में काम किया है.

रामलीला में सीता बनकर रवि किशन को मिली थी शोहरत. (फाइल फोटो)

Patna: रवि किशन (Ravi Kishan) का नाम सुनते ही उनके फैंस के चेहरे पर खुशी छा जाती है. उनका जन्म 17 जुलाई, 1969 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर के छोटे से गांव बिसुईं के ब्राह्मण परिवार में हुआ था. रवि किशन का पूरा नाम रवि किशन शुक्ला है. जानकारी के अनुसार, रवि किशन शुक्ला को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. उनके गांव में जब भी नाटक होता तो वे उसमें रोल करते थे. दिखने में वह सुंदर थे, इसलिए उन्हें ज्यादातर महिला का रोल ही मिलता था. वहीं, उन पर एक्टिंग का भूत सवार रहता था, इसलिए वह महिला बनने से भी पीछे नहीं हटते थे. अब तक वे हिंदी भोजपुरी और कई भारतीय भाषाओं की 116 से  भी अधिक फिल्में कर चुके हैं और उनका सफर जारी है. 

भोजपुरी से लेकर हिंदी फिल्मों तक कमाया नाम
रवि किशन केवल भोजपुरी (Bhojpuri) सिनेमा के एक्टर बनकर नहीं रहे है बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में एक मशहूर अभिनेता के रूप में काम किया है. बता दें कि रवि किशन को फिल्म 'तेरे नाम' के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था और 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला हुआ है. साथ हीं, वह इकलौते ऐसे अभिनेता है जिन्हें एक साथ हिंदी और भोजपुरी फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है.

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वक्त ऐसा भी था जब खाने को पैसें नहीं थे
इतना सब कुछ पाने के लिए उन्हें जो मेहनत करनी पड़ी उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. आज भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन के पास भले ही पैसों की कोई कमी न हो, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. जानकारी के अनुसार, 1990 में जब वे गांव छोड़कर मुंबई आए थे तब उनके पास न खाने के लिए पैसे थे और न हीं रहने के लिए कोई जगह थी. वहीं, केवल दो वक्त की रोटी के लिए काम काम ढूंढते थे. काम मिल जाता तो वह भर पेट खाते थे वरना भूखे पेट ही सो जाते थे. 

एक्टिंग को लेकर खाई मार
वहीं, फिल्म न मिलने पर एक समय ऐसा आया था कि जब वह गलत रास्ते पर चलने वाले थे. लेकिन उस वक्त उनके पिता ने उन्हें यह सब करने से रोक. जानकारी के अनुसार, रवि किशन को फिल्मों में 10-12 साल काम करने के बाद भी पैसे नहीं मिलते थे. वहीं, जब वह बचपन में रामलीला में सीता का रोल करते थे तो उनके पिता बेल्ट से उनकी पिटाई करते थे और कहते थे- तुम नचनिया क्यों बन रहे हो? क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वह कोई ऐसा काम करें जो ब्राह्मण परिवार को शोभा देता हो. लेकिन उस वक्त उनकी मां ने उन्हें घर से भागने की सलाह दी. एक्टिंग के लिए उन्होंने 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था.

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किस्मत ने दिया साथ 
इधर, रवि किशन का सबसे बुरा वक्त तब आया जब वह बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे थे और जब उन्होंने रिकॉर्डिंग के बाद पैंसे मांगे तो इस पर प्रोड्यूसर ने कहा कि फिल्म में काम दे दिया ये क्या कम है और अगर पैसें मांगे तो रोल काट दूंगा. उस समय आसमान में देखकर वह खूब रोए और उस दिन को वह कभी नहीं भूल पाए है. हालांकि, साल 2003 में उन्होंने अपनी मां के कहने पर भोजपुरी फिल्म 'सइयां हमार' की और इस फिल्म के लिए उन्हें 75 हजार रुपए मिले थे. वहीं, किस्मत ने उनका साथ दिया और फिल्म सुपरहिट हो गई. उसके बाद उन्होंने 'पंडित जी बताई न बियाह कब होई' फिल्म की और इस फिल्म ने 12 करोड़ की कमाई की. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बता दें कि रवि किशन को बाइक चलाने का शौक है.