Bihar Panchayat Chunav को लेकर बड़ा फैसला, उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने पर चुनाव में No Entry
Bihar Samachar: साल 2018-19 तक पंचायती राज विभाग के 13 हजार करोड के उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे. जो अब बढ़कर 25 हजार करोड हो चुके हैं.
Patna: Panchayat Election 2021 मामला पंचायती राज विभाग का है. यहां लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र की राशी 25 हजार करोड तक पहुंच चुकी है. जिससे नाराज होकर मंत्री ने यह घोषणा कर दी है कि जो पंचायत प्रतिनिधि उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा करेंगे. उन्हें चुनाव नहीं लडने दिया जाएगा. वहीं, पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav 2021) लड़ने का वाले पंचायत प्रतिनिधियों के लिए बुरी खबर है. सरकार ने ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने पर रोक लगाई हैं जिन्होंने अपने काम का उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक नहीं दिया है.
ये भी पढ़ेंः Bihar Panchayat election 2021: प्रत्याशियों करना होगा इंतजार, NOC के बिना नहीं होगी चुनाव की घोषणा
जानकारी के अनुसार, साल 2018-19 तक पंचायती राज विभाग के 13 हजार करोड के उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे. जो अब बढ़कर 25 हजार करोड हो चुके हैं. इसलिए उपयोगिता प्रमाण पत्र हाशिल करने के लिए पंचायती राज विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. वहीं, पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि जो पंचायत प्रतिनिधि मार्च 2020 तक अपना उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा करेंगे उन्हें चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा.
दरअसल, जिन योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया है उनमें सात निश्चय योजना पार्ट-1 की योजनाएं शामिल हैं. जिसमें बड़े पैमाने की गड़बड़ी बताई जा रही है. इधर, विपक्ष ने सरकार को इस फैसले पर घेरना भी शुरु कर दिया है. इसे लेकर आरजेडी (RJD) ने पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव लडने से रोकने के सवाल पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सरकार पंचायत प्रतिनिधियों को दोषी ठहराकर अपनी गलतियों से पल्ला झाड़ नहीं सकती है. पूरे मामले में सरकार के अधिकारी दोषी हैं और उन पर भी कार्रवाई करें.
ये भी पढ़ेंः बिहार पंचायत चुनाव 2021 नियम: प्रत्याशी नहीं कर सकते मनमाना खर्च, EC ने खींची लक्ष्मण रेखा
इधर, कांग्रेस ने इसे 25 हजार करोड रुपए का घोटाला बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधव ने कहा है कि सरकार अब तक सोई हुई थी. चुनाव आया है तब इन्हें उपयोगिता प्रमाण पत्र सूझ रहा है. दरअसल, मामला घोटाले का है और इसके लिए सरकार के अधिकारी ही दोषी है. सिर्फ पंचायत प्रतिनिधियों को दोषी ठहराना उचित नहीं है.
बता दें कि, उपयोगिता प्रमाण पत्र पर दावों की बौछाड़ है. सरकार के दावे अलग हैं और विपक्ष के दावे अलग है. अब इंतजार उस वक्त का है जब सरकार दोषी जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने पर रोक लगा देगी.