Bihar Violence: बिहार में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा के बाद हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पारा अभी भी गरम है. सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार (7 अप्रैल) को एक बार फिर से इस हिंसा को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा और इशारों-इशारों में उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया. सीएम ने साफ कहा कि हिंसा में शामिल किसी को भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा. सभी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. 


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उन्होंने कहा, 'हम किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं. सभी चीजों की जांच में पता कर रहे हैं कि किसने उकसाया, किसने किया उसके बाद कार्रवाई करेंगे. जांच चल रही है, जल्द ही गड़बड़ी करने वाले सामने आ जाएंगे.' मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, '2018 में जब केंद्रीय मंत्री के बेटा ने कुछ किया तो हम लोगों ने उसको नहीं छोड़ा था, तब इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले को कैसे छोड़ देंगे.'


अश्विनी चौबे के बेटे का उदाहरण दिया


बता दें कि 2018 में भागलपुर हिंसा के मामले में बिहार सरकार ने अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को गिरफ्तार कर लिया गया था. भागलपुर के नाथनगर उपद्रव मामले में अर्जित शाश्वत चौबे नामजद आरोपी थे. इस मामले में उनके खिलाफ न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. उन पर बिना अनुमति जुलूस निकालने का आरोप था. 


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नीतीश सरकार पर पशुपति का वार


वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आरोपों का केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री ने बिहार सरकार पर ही हिंसा कराने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिहार सरकार की सुनियोजित साजिश थी. बिहार सरकार जिस जांच की बात कर रही है, उससे हमलोग संतुष्ट नहीं है. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इसकी जांच कराने की मांग की.


प्रशासन पंगु बन गया है- पशुपति


उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार का प्रशासन पंगु बन गया है. नीतीश कुमार को प्रशासन ने बेसहारा मुख्यमंत्री समझ रखा है. उन्होंने नीतीश कुमार को पलटूराम बताया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह 17 वर्षों से एनडीए गठबंधन में थे. कम सीट के होने के बावजूद NDA गठबंधन ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. पहले भी नीतीश कुमार राजद के साथ गए थे लेकिन फिर वापस आ गए.


शांतिपूर्वक हुई जुमे की नमाज


जुमे की नमाज को लेकर आज यानी शुक्रवार (7 अप्रैल) को अलर्ट जारी किया गया था. जिसके चलते जिन स्थानों पर हिंसा हुई थी, वहां काफी सतर्कता बरती गई. संवेदनशील जगहों पर मजिस्ट्रेट की भी तैनाती रही. सासाराम जिले की तकरीबन 28 मस्जिदों के सामने भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. वहीं बिहारशरीफ जिले में पुलिस ने ड्रोन से संवेदनशील इलाकों पर निगरानी रखी.