पटनाः Akshaya Navmi 2021 : गंगा का किनारा हो, आंवले का पेड़ हो और इसी के नीचे प्रभु का प्रसाद खाने को मिल जाए तो क्या कहने. ये सारे संयोग एक साथ देखने हों तो पटना पहुंचिए, या फिर भागलपुर या हर उस शहर-गांव, जिन्हें गंगा मैया अपनी धारा से पवित्र करते हुए बहती जाती हैं. 


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आंवला है भगवान विष्णु का स्वरूप
दरअसल, सारा बिहार आज यानी 13 नवंबर को आंवला नवमी (Aamla Navami) मना रहा है. इसे आखा नवमी, अक्षय नवमी भी कहते हैं. इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विधान है. आंवले की पूजा भगवान विष्णु के रूप में की जाती है. जैसे भगवान विष्णु संसार का कल्याण करते हैं ठीक वैसे ही आंवला भी संसार के लिए गुणकारी है.  


बिहार की परंपरा
बिहार में इस दिन गंगा नदी या घरों में स्नान करने के उपरांत पूजा अर्चना व भुआ दान करने की परंपरा है. इसके लिए मंदिरों में कथा सुनने के बाद धार्मिक विधि विधान के साथ भुआ दान किया जाता है. इसके साथ ही आवंला वृक्ष के नीचे खिचड़ी बनाकर महिलाएं खाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे खाना बनाने से उसमें अमृत का समावेश होता है जिससे लोग निरोग और स्वस्थ होने में कामयाब होते हैं. इस मौके पर जगह-जगह आंवला पेड़ के नीचे खिचड़ी बनाने की होड़ लगी हुई है. 


त्रिफला का आधार आंवला
जहां देश के अन्य हिस्सों में आंवले के नीचे खीर खाने का विधान है, वहीं बिहार में आंवला वृक्ष के नीचे खिचड़ी खाने की परंपरा है. आंवले की पूजा मौसम बदलने का भी सूचक है. यह सर्दी की घोषणा है और इस दौरान होने वाले रोगों से बचाने के लिए आंवला ही एक मात्र सहायक है. सर्दी के मौसम में आंवला त्रिफला में, च्यवनप्राश नामकी प्राचीन औषधि का आधार है. 


सर्दियों में गुणकारी है आंवला
आंवले के सेवन से त्वचा में चमक आती है, त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है. आंवला खाने से बालों की चमक बढ़ती है. हम आंवले के महत्व को समझें व उसका संरक्षण करें, इसीलिए प्राचीन मनीषियों ने आंवले की पूजा की और इसे उत्सव व त्योहार के रूप में स्थापित किया. सर्दियों में तो आंवला अमृत है और गुणकारी प्रतिरोधी क्षमता का विशेष स्त्रोत है. 


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