पटनाः Gupta Navratri 2022: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समय चल रहा है. यह पावन समय मां दुर्गा की आराधना करते हुए उनके दस महाविद्या स्वरूप को स्मरण करने का है. गुप्त नवरात्रि में आज षष्ठी तिथि है. यह तिथि देवी कात्यायनी को समर्पित है. यानि कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. माता का यह स्वरूप बहुत करुणामयी है. यह भक्तों और संत जनों को प्रसन्न करने वाले और आतंक फैलाने वाले लोगों को भयभीत करने वाला है. माता ने उन्होंने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए यह अवतार धारण किया था. 


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ऐसा है माता का स्वरूप
मान्यता है कि मां ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर पुत्री के रूप में उनके घर जन्म लिया. कात्यायन की पुत्री होने के कारण उनका नाम कात्यायनी रखा गया. दानव महिषासुर का वध करने के कारण मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं. मां कात्यायनी का स्वरूप भव्य और अत्यंत चमकीला होता है. मां सिंह की सवारी करती हैं. ऊपर उठा उनका एक दाहिने हाथ अभय मुद्रा में होता है, जबकि दूसरी दाहिनी भुजा वर मुद्रा में है. उनके एक बायें हाथ में तलवार और दूसरे में कमल पुष्प है.


मां कात्यायनी की अराधना का महत्व
हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जिन लोगों की शादी में अड़चनें आ रही हैं, उन्हें पूरे विधि-विधान के साथ मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए. मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की अराधना करने से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. साथ ही मां की अराधना से से रोग, शोक, संताप और भय से भी मुक्ति मिल जाती है. शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए प्रयोग कर रहे भक्तों को मां कात्यायनी की पूजा जरूर करनी चाहिए.


मां कात्यायनी की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान करें और मां कात्यायनी की पूजा के लिए पीले या लाल रंग के वस्त्र पहने. अब पूजा स्थान पर कात्यायनी देवी की प्रतिमा स्थापित करें. अब गंगाजल से छिड़काव कर शुद्धिकरण करिए. इसके बाद मां की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं और पुष्प चढ़ाएं. मां के सामने धूप और अगरबत्ती जला कर रखें. अब मां को प्रणाम कर उनका ध्यान कीजिए. माता के समक्ष पीले रंग के फूलों का साथ कच्ची हल्दी की गांठ भी चढ़ाएं. इसी के साथ शहद भी अर्पित करें. धूप-दीप से मां की आरती उतारें. इसके बाद सभी को प्रसाद बांटे.


मां कात्यायनी को प्रसन्न करने का मंत्र
नवरात्रि के छठे दिन होने वाली मां कात्यायनी की पूजा में मधु यानी शहद को शामिल करना बिल्कुल न भूलें. मां को शहद बेहद प्रिय होता है. मान्यता है कि शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है.
अपने भक्तों की हर पुकार सुनने वाली मां को अराधना के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें-
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि


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