पटना: व्हाट्सअप पर एक जुमला इन दिनों वायरल है, संदेश में कहा जा रहा है कि बैंक में एक ग्राहक ने एक तख्ती टंगी देखी, तख्ती पर लिखा था, 'जो ग्राहक बैंक में आकर ये बोलकर जाते हैं कि बैंक हमारा है, हमारे पैसों से चलता है, उनके लिए खास सूचना, संसद में सरकार आपके बैंक के बेचने वाली है, फिर मत कहना कि बताया नहीं था.' 


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तो क्या है इस वायरल मैसेज की कहानी, और क्या वाकई हमारा बैंक बिकने वाला है? आखिर क्यों देश के 9 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर उतर आए हैं? क्या वजह है कि भारी सर्दी में बैंक के अधिकारी कर्मचारी कामकाज बंद कर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं? क्या वाकई सरकार इस बार बैंकों का निजीकरण करने जा रही है? इनसाइड स्टोरी में आज इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश करेंगे. 


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हड़ताल पर हैं 9 लाख बैंककर्मी 
सबसे पहले आप ये जान लीजिए कि देशभर में 9 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं. बैंक कर्मचारी इस बार की हड़ताल में निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. इसे लेकर बैंक कर्मियों ने 16 और 17 दिसंबर को कामकाज बंद रखा साथ ही बैंक के दरवाजे पर निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन भी किया. 


बैंकिंग संशोधन विधेयक का हो रहा विधेयक
दरअसल बैंक कर्मी केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही बैंकिंग संशोधन विधेयक (Banking Laws (Amendment) Bill 2021) का विरोध कर रहे हैं. बैंक यूनियन के मुताबिक इस विधेयक के पास होने के बाद सरकार बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, जिससे धीरे-धीरे निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा. 


बैंक यूनियन्स ने सरकार से मांगा लिखित आश्वासन
दो दिवसीय स्ट्राइक से पहले बैंक कर्मियों के सामूहिक संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (United Forum of Bank Unions) ने केंद्र सरकार से बातचीत की. केंद्रीय श्रम आयुक्त से बातचीत में संसद सत्र में लाए जा रहे बैंकिंग संशोधन विधेयक को लेकर यूनियन के प्रतिनिधियों ने अपनी शंका व्यक्त की. केंद्र सरकार ने कहा कि सरकार की अभी ऐसी कोई मंशा नहीं है. लेकिन UFBU के प्रतिनिधियों ने सरकार से बयान देने या लिखित आश्वासन की मांग की, जिसके लिए सरकार तैयार नहीं हुई. 


किसान आंदोलन की तर्ज पर हड़ताल की 'धमकी'
इसके बाद यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने दो दिवसीय हड़ताल का एलान कर दिया. साथ ही ये भी कहा कि ये स्ट्राइक सांकेतिक है, आगे वे किसानों की तरह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को रिटायर्ड कर्मचारियों का भी समर्थन मिल रहा है. दो दिन की हड़ताल की वजह से खबर है कि लाखों करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है और ज्यादातर ATM भी खाली नज़र आए. 


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सरकार ने 10 बैंकों का किया था विलय
केंद्र सरकार ने बैंकिंग प्रणाली में सुधार के नाम पर पिछली बार कई बैंकों का विलय किया था. 2 साल पहले 30 अगस्त 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चार संस्थाओं में विलय करने की घोषणा की थी, जिसके बाद भारत में 27 से सिर्फ 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बचे रह गए थे. ये विलय 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी हुआ था, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक के साथ मर्ज कर दिया गया तो सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक के साथ मर्ज कर दिया गया.


आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय कर दिया गया, इंडियान बैंक को इलाहाबाद बैंक में विलय कर दिया गया साथ ही देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया. बैंक कर्मियों ने उस वक्त विलय का भी विरोध किया था, लेकिन आश्वासन के बाद मामला शांत हो गया था. लेकिन इस बार लगता नहीं है ऐसा हो पाएगा.