Patna: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने एक बार फिर से बिहार को विशेष राज्य देने की मांग को उठाया है. उन्होंने कहा कि बिहार विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए 'योग्य' है. उन्होंने इसके साथ ही अपनी यह मांग दोहराई. कई साल से बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे कुमार ने कहा कि इससे राज्य, केंद्र की विशेष सुविधाओं का हकदार होगा और यह बिहार के लिए जरूरी है. साप्ताहिक जनसंवाद कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग के मुताबिक बिहार पिछड़ा राज्य है. 


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उन्होंने सवाल किया, '(बिहार) सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद विकास दर पर्याप्त नहीं है. इसलिए हम बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. इसमें गलत क्या है.'  संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि नीति आयोग ने बिहार का आकलन करने के लिए पुराने मानकों का इस्तेमाल किया है और उसकी मूल्यांकन प्रक्रिया न्यायोचित नहीं है, क्योंकि राज्य हर साल सभी क्षेत्रों में विकास कर रहा है.  


 मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विशेष राज्य के दर्जा के लिये हमलोगों ने पहले भी अभियान चलाया. हमलोग अपनी मांग रखे ही हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमलोग सब  NDA सरकार का ही हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि हाल में नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को सबसे पिछड़ा बताया गया है. उन्होंने कहा कि हमलोगों को वर्ष 2005 से काम करने का मौका मिला है, तबसे कितना मेहनत किया और बिहार को कहां से कहां पहुंचाया. उसके बावजूद भी अगर बिहार पीछे है तो उसका कारण है कि हमारा क्षेत्रफल कम है लेकिन हमारी आबादी बहुत ज्यादा है


CM ने जोर देकर कहा, 'मैं उन लोगों की परवाह नहीं करता जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का विरोध करते हैं. हम सभी जानते है कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय, मानव संसाधन और जीवन स्तर राष्ट्रीय औसत से कम है. बिहार में जनसंख्या घनत्व उच्च है. इसलिए बिहार को विशेष दर्जे की जरूरत है.'  केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य जातियों की जनगणना कराने से इनकार के बाद बिहार सरकार द्वारा अपने स्तर पर जातीय जनगणना कराने की योजना के सवाल पर कुमार ने कहा, 'हम जल्द ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे और उसके बाद राज्य में यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी.