पटना: Bihar MLC Chunav: बिहार में विधान परिषद की सात सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए गुरुवार को नामांकन दर्ज करने की आखिरी तारीख थी. राज्य में तीन दलों से कुल सात प्रत्याशियों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है. इस चुनाव के लिए सबसे बड़ी बात है कि सभी राजनीतिक दलों ने इस बार जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी है.


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जमीना कार्यकर्ताओं को मिली तरजीह
राज्यसभा के लिए तीन जून को निर्वाचित घोषित प्रत्याशियों में भी पार्टियों के सभी पुराने कार्यकर्ता हैं. दीगर बात है कि जनता दल (यूनाइटेड) के दोनों राज्यसभा सदस्य खीरू महतो और अनिल हेगड़े के संबंध बिहार से अलग अन्य राज्यों से रहा है, लेकिन ये भी पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता रहे हैं.


राजद ने भी पुराने कार्यकर्ताओं को दी तरजीह
विधान परिषद की सात सीट के लिए होने वाले चुनाव में राजद जिन तीन लोगों को भेजने का निश्चय किया है उसमें तीनों राजद से जुडे रहे हैं. कारी सोहैब और मुन्नी देवी का पार्टी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं तथा जमीन से जुड़े हुए हैं, वहीं अशोक पांडेय का परिवार पुराने समय से राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) के करीब रहा है. मुन्नी देवी का चयन आश्चर्यचकित करने वाला जरूर था. वे कुछ दिन पहले तक कपडे में आयरन देने का काम करती थी.


बिहार में सत्तारूढ जदयू की बात करें तो उसने भी इस बार पार्टी के कर्मठ कार्यकतार्ओं को उनकी मेहनत का पारितोषिक देते हुए विधान परिषद भेजने का निर्णय लिया है. जदयू ने इस चुनाव में अफाक अहमद खान और रवींद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है. रवीन्द्र सिंह पार्टी से काफी पुराने समय से जुड़े रहे हैं.


भाजपा ने इस चुनाव में जहानाबाद से अनिल शर्मा और दरभंगा के हरि सहनी को परिषद के लिए प्रत्याशी बनाया है. ये दोनों पार्टी से पुराने समय से जुडे हुए हैं. हरि सहनी दरभंगा के जिला अध्यक्ष का दायित्व भी निभा चुके हैं.


कार्यकर्ताओं को तरजीह देने के संबंध में जब नामांकन करने पहुंचे भाजपा प्रत्याशी अनिल शर्मा से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि भाजपा प्रारंभ से ही कार्यकर्ताओं को उसके काम के मुताबिक पुरस्कृत करती है. आज राजद केा भी ऐसा करने को विवश होना पड़ा है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि राजद को पहले परिवादवाद से निकलना होगा.


इधर, राजद की प्रत्याशी मुन्नी देवी कहती हैं कि अब जब राजद ने हम जैसे लोगों को प्रत्याशी बना सकती है तो यह उसके कार्यकर्ताओं के प्रति स्नेह ही है.


कहा यह भी जा रहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा पार्टी के कार्यकतार्ओं के प्रत्याशी बनाए जाने के कारण ही इस चुनाव में किसी भी पार्टी के अंदर विरोध के स्वर नहीं उभरे.


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(आईएएनएस)