बिहार में आक्रामक मूड में आई BJP, NDA में बढ़ने लगी है रार!
विधानसभा चुनाव में NDA में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर BJP बड़े भाई की भूमिका में पहुंच गई. इसके बाद से ही JDU अपने संगठन को विस्तार करने में जुट गई.
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के बाद राज्य में तीसरे नंबर पर आ गई जनता दल युनाइटेड़ (JDU) पिछले कई महीनों से अपनी पुरानी मांग 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' तथा 'जातिगत जनगणना' कराने की मांग को लेकर अपने ही गठबंधन में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने में जुटी थी. इसी बीच, अब BJP भी आक्रामक तेवर अपना ली है, जिससे सत्ताधारी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में 'गांठ' बढ़ती जा रही है.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में NDA में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर BJP बड़े भाई की भूमिका में पहुंच गई. इसके बाद से ही JDU अपने संगठन को विस्तार करने में जुट गई. इसी बीच, JDU ने अपनी पुरानी बोतल में पड़े सियासी 'जिन्न' यानी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को फिर से निकालकर BJP पर दबाव बनाने लगी.
BJP का आक्रामक मूड़
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर भी वह केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेती रही. BJP इस दौरान चुप्पी साधे रही, लेकिन अब शराब पीने से हो रही लोगों की मौतों के बाद BJP आक्रामक हो गई. BJP के कड़े तेवर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि BJP ने पिछले विधानसभा चुनाव में बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह (Rajendra Singh) की भी 'घर वापसी' करा ली.
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में JDU ने कम सीट लाने का ठिकरा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को चुनाव मैदान में उतरने पर फोड़कर सफाई देती रही. उस समय कहा जा रहा था कि लोजपा ने कई BJP नेताओं को अपनी तरफ लाकर चुनाव मैदान में उतार दी, जिससे JDU के उम्मीदवारों की हार हुई. ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया को लेकर हुई थी.
BJP ने कराई वापसी
JDU ने स्पष्ट कहा थाा कि ऐसे ही नेताओं के कारण कई सीटों पर JDU के प्रत्याशी को हारना पड़ा. कहा जा रहा था कि JDU ने BJP पर ऐसे नेताओं को फिर से अपनी पार्टी में शामिल करने पर तक की रोक लगा दी थी, लेकिन एक साल तक राजेंद्र सिंह को लेकर खामोश रही BJP ने रविवार को पार्टी में वापस शामिल करा लिया.
नहीं दिख रहा है तालमेल
बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के काफी कम सीट आने के बावजूद BJP ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था. BJP के एक नेता ने नाम प्राकशित करने की शर्त पर कहते हैं कि BJP आखिर कब तक खामोश रहती. BJP की कम सीट हो या ज्यादा, पार्टी से हर समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेता माना, लेकिन सहयोगी पिछले एक साल में ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जब BJP को निशाने पर नहीं लिया. दूसरी पार्टी से JDU में आए नेता तो जैसे गठबंधन तोड़ने पर आमदा हैं.
BJP ने दिया संदेश
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के जिस मुद्दे को JDU भूल चुकी थी, उसे फिर से जिंदा किया गया. इधर, BJP के उपाध्यक्ष राजीव रंजन कहते हैं कि 'BJP पूरी तरह गठबंधन धर्म निभाना जानती है, लेकिन जब बात जनता के बीच पहुंच जाती है और जनता पार्टी से प्रश्न पूछने लगती है, तब किसी भी पार्टी का उतरदायित्व है कि उसका जवाब दिया जाए, जिससे जनता के बीच स्पष्ट 'मैसेज जा सके.'
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि गठबंधन में एक लक्ष्मण रेखा होती है, जिसे किसी भी घटक दल को पार करना शोभा नहीं देता. उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि अगर बिहार में NDA की सरकार है तो क्या केंद्र में NDA की सरकार नहीं है? वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर JDU दबाव की रणनीति अपना रही है. लेकिन, अब जिस तरह से BJP के नेताओं से लेकर प्रवक्ताओं तक ने शराबबंदी कानून को लेकर JDU को घेरा है, उससे यह स्पष्ट है कि BJP नई रणनीति बना रही है.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश के NDA के साथ फिर से जाना और मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग बंद हो गया है. NDA तेजस्वी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी. ऐसे में BJP अब अपने तेवर कड़े कर लिए हैं. बहरहाल, BJP के कड़े तेवर को JDU कैसे शांत करता है, यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि NDA के लिए यह गांठ सुखद संदेश नहीं हैं.
(इनपुट:आईएएनएस)