पटनाः Chhath Puja Surya Deva Details: इस वक्त बिहार में छठ पर्व (Chhath Parva) की छठा बिखरी हुई है. बहुत सारे लोग छठ व्रत का परंपरा को निभा रहे हैं. हालांकि कई परिवार ऐसे भी हैं, जहां छठ व्रत का अनुष्ठान नहीं किया जाता है, लेकिन सूर्य देव तो सभी के आराध्य हैं.


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ऐसे में अगर आप के घर छठ व्रत न भी होता हो, फिर भी आप सूर्य देव की पूजा कर सकते हैं. ऐसा करने से आपकी राशियों के प्रभाव भी शुभ फल देने वाले हो जाएंगे. बस इन तथ्यों पर ध्यान देना जरूरी है. 


जलाशय है उत्तम स्थान
सूर्य को जल अर्पित करने के लिए सबसे उत्तम स्थान जलाशय या नदी को माना जाता है किन्तु ऐसा हर व्यक्ति के लिए कर पाना संभव नहीं है. इसलिए जातक किसी शुद्ध स्थान जैसे कि मंदिर में जाकर जल अर्पित कर सकते हैं. यदि मंदिर में भी जाना संभव न हो तो घर की छत पर या बालकनी से भी सूर्य को जल अर्पित किया सकता है.


शास्त्रों के अनुसार यदि किसी कारणवश जातक उपरोक्त किसी भी प्रकार से सूर्य को अर्घ्य नहीं दे पा रहें है तो वह पूर्वामुख होकर सूर्य का ध्यान करते हुए किसी तांबे के पात्र या किसी शुद्ध बर्तन से भी सूर्य को जल अर्पित कर सकते हैं. 


तीन बार अर्पित करें जल
सूर्य देव को एक ही पात्र से तीन बार जल अर्पित करना चाहिए. ऐसे में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य को जब भी जल अर्पित करें तो आपके पात्र में इतना जल हो कि उससे भगवान सूर्य को तीन बार जल अर्पित किया जा सके. हर बार जल चढ़ाने के बाद आपको अपने स्थान पर खड़े होकर एक परिक्रमा करते हुए मंत्रोच्चार करना चाहिए.


सूर्य उपासना है सबसे महत्वपूर्ण
पंचदेव उपासना जिसमें गणेश उपासना, शिव उपासना, विष्णु उपासना, देवी भगवती दुर्गा उपासना को महत्व दिया जाता है, उसमें सूर्य उपासना का भी महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यता है कि सूर्य देव की उपासना से जातक रोग-दोष से मुक्ति प्राप्त करते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य बेहद प्रिय है.


ऐसे में सूर्य देवता को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उन्हें प्रतिदिन जल अर्पित करें. सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है क्योंकि वह हमें नग्न आँखों से भी दिखते हैं.


सूर्य देव का बीज मंत्र
छठ व्रत का संबंध सूर्य देव से जोड़कर देखा गया है इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा करते समय उनके बीज मंत्र ‘ ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ ॐ सूर्याय नम:’ का जप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है.


जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करना हो तो, इस दिन सूर्य को जल देने के बाद, नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें. 


”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते.


अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर..”


सूर्य व्रत की महिमा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति सूर्य देव का ध्यान करते हुए यज्ञ करता है और मंत्रो का पाठ और दान-पुण्य करता है, तो उस पर सूर्यदेव हमेशा अपनी कृपा बनाये रखते हैं. साथ ही सूर्यदेव की आराधना से निरोगी काया है और मन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है.


सूर्य उपासना के लिए मंत्र 
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा..
ॐ सूर्याय नम:. 
ॐ भास्कराय नम:.
ॐ रवये नम:. 
ॐ मित्राय नम:.
ॐ भानवे नम:.
ॐ खगय नम:.
ॐ मारिचाये नम:.
ॐ आदित्याय नम:. 
ॐ सावित्रे  नम: . 
ॐ आर्काय नम: . 
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:. 
ॐ पूष्णे नम:.


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