Bettiah: Divyang: बेतिया से एक ऐसी खबर सामने आई है जंहा दोनों पैरों से दिव्यांग एक बच्ची सालों से रेंग रेंग कर स्कूल जाती है.  खिसक-खिसक कर धरती नापती स्कूल पहुंचती है.  जिसे व्यवस्था के लोगों ने आज तक नहीं देख पाया है. अपने घर से डेढ़ किमी की दूरी धरती पर रेंग रेंग कर स्कूल पहुचती है. पांचवी क्लास की छात्रा चांद तारा सरकार से साइकिल मांग रही है पैर लगवाने की गुहार लगा रही है. उसे शिक्षक बन समाज की सेवा करनी है.  लेकिन उसे 


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आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
वहीं, गांव के तबरेज आलम बताते है कि तीन बार साइकिल के लिए लिखा पढ़ी की गई है लेकिन इस बच्ची को आज तक कुछ नही मिला है.  चांद तारा की माँ इशबुन नेशा बताती हैं कि बच्ची बहुत तकलीफ में स्कूल जाती है उसे साइकिल सरकार दे दें और  उसका पैर लगवा दे. साथ ही उसने बताया कि उनके पास राशन कार्ड नही है, उसकी भी व्यवस्था करवा की बात कही.  बच्ची की मां ने बताया कि वह लोग काफी गरीब हैं लेकिन उनकी बच्ची पढ़ लिख कर कुछ करना चाहती है.


शिक्षक ने कहा बच्ची पढ़ना चाहती है
इसके अलावा स्कूल के शिक्षक शंभु पाठक बताते है कि बच्ची पढ़ने में बहुत अच्छी है. वह शिक्षक बनना चाहती है उसे साइकिल सरकार को देनी चाहिए जिसके लिए सरकार से मांग की गई है. बता दे बच्ची हरपुर गढ़वा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गढ़वा कन्या उर्दू विद्यालय की छात्रा है.मझौलिया प्रखण्ड के हरपुर गढ़वा पंचायत के वार्ड नम्बर 13 रहने वाली पांचवे क्लास की छात्रा चांद तारा जो कि दोनों पैरों से विकलांग है इसके पिता नही हैं.  उनका इंतकाल हो चुका है.  इसकी परवरिश इसकी मा करती है ये पांच बहन और चार भाई है. 


बच्ची को अभी तक नहीं मिली साइकिल
चांद तारा 15 साल की है. वह पढ़ना लिखना चाहती है और साथ ही आगे चल कर एक शिक्षक बनने की इच्छा रखती है.  कुछ बनने का इच्छा के कारण वह सालों से जमीन से खिलस-खिसक कर स्कूल जा रही है. परिजनों ने जिस प्रकार से बताया कि बच्ची को अभी तक साइकिल नहीं मिल पाई है और न ही इन लोगों के पास राशन कार्ड है. जिसके कारण परिवार की स्थिति अच्छी नहीं है. देश में दिव्यांगों की इस तरह की परिस्थिति के कारण सरकार की दिव्यांग योजनाओं पर कई सवाल खडे़ होते हैं. 


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