Madhepura:Fraud:  साइबर क्राइम के मामले अक्सर सामने आते रहते है. लोगों के द्वारा ऑनलाइन ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में मधेपुरा और उसके आस-पास के इलाके से एक एप के जरिये करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है. दाता दानी एप के जरिये हजारों लोगों को पैसा दोगुना करने का लालच देकर लोगों के साथ ठगी की गई है. हालांकि इस मामले में एक युवक को पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर मामले का बड़ा खुलासा किया है. ठगी का शिकार हुए लोग इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं. इस पूरे मामले का खुलासा ठग गिरोह के कथित सदस्य के अपहरण से हुआ है. 


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अपहरण से हुआ खुलासा
बताया जाता है कि दानीदाता नामक एप के माध्यम से सिर्फ मधेपुरा सदर थाना क्षेत्र के आसपास के इलाके से 4-5 करोड़ की ठगी हुई है. यह एप बीते 3 जून को अचानक से बंद हो गया था. जिसके बाद 4 जून को शाम करीब 5-6 बजे के बीच मधेपुरा नगर परिषद् के वार्ड नंबर 5 से दो युवकों ने अमन राज और उसके भाई अभिषेक का उसी की ऑल्टो सहित अपहरण कर लिया. अपहरण का आरोप मुरलीगंज थाना अंतर्गत रामपुर निवासी रमेश यादव और उसके भतीजा विकास कुमार सहित दो अज्ञात व्यक्तियों पर लगा. इस मामले में मधेपुरा सदर थाना में एक केस दर्ज किया गया, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई. पुलिस के दबाव में दोनों भाइयों को लोगों ने 86 हजार रुपये खाते में लेने के बाद मुरलीगंज थाना के पास छोड़ दिया. इस दौरान अपहृत युवक से लोग 10 लाख रुपये की डिमांड कर रहे थे. जब पुलिस मामले की जाँच में जुटी तो यह मामला बड़ा साइबर क्राइम का निकलकर सामने आया. 


3 जून से बंद हुआ एप
मधेपुरा सदर के एसडीपीओ का कहना है कि यह 4-5 करोड़ की ठगी का मामला है. बताया जाता है कि अमन राज दनीदाता एप का वीआईपी मेंबर था. उसी की तरह देश भर में 32 सौ के करीब सदस्य थे. अमन के चेन में 500 से अधिक लोग जुड़े थे जिनके जमा पैसे पर अमन को 10 प्रतिशत तक कमीशन बन रहा था. 3 जून को यह एप बंद होने के बाद लोगों ने अमन कि तलाश में शुरू कर दी. जिन लोगों ने अमन का अपहरण किया उनका 15 लाख से अधिक रुपये इस एप में लगे हुए थे. अमन की माने में तो इस एप के माध्यम से देश भर के लोगों का 800 से 900 करोड़ रूपया लगा था. उसने यूट्यूब के प्रचार के माध्यम से इस एप को डाउनलोड किया था. 


फुटबाल टीम में लगाया जाता है पैसा
एप के बारे में बताया जाता है कि लोग एप के विविन्न फुटबाल टीम पर पैसा लगाते थे. जिसकी भी टीम जीत हासिल करती थी उन्हीं लोगों को पैसा मिलता था. यह पैसा एक लाख रुपया लगाने पर एक दिन में 22 सौ से 9 हजार तक का लाभ देता था. यह सारा ट्रांजेक्शन यूपीआई फोन पे अथवा गूगल पे के माध्यम से किया जाता था. पैसा लगाने के लिए हर बार नया यूपीआई एड्रेस दिया जाता था. इस एप के शिकार अधिकांश युवा हुए हैं. जो की पुलिस के सामने आने से बच रहे हैं. सदर एसडीपीओ अजय नारायण यादव ने बताया कि पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है. मामले के अनुसंधान में आर्थिक अपराध शाखा और साइबर सेल का भी सहयोग लिया जा रहा है. वहीं, लोग इसे 8 से 10 करोड़ की ठगी बता रहे हैं.वहीं फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है.


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