पटना: Lalu fodder scam: चारा घोटाले वाले मामले में लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए हैं. सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को फैसला सुनाया है. इसके बाद एक बार फिर लालू यादव के सामने जेल की राह है. वहीं दूसरी ओर तकरीबन 26 साल पुराना ये मामला एक बार फिर लोगों की जुबान पर है. इसमें कब क्या हुआ? कैसे हुआ? इस तरह के आंकड़े फिर से चर्चा का विषय बन रहे हैं. चारा घोटाले के आंकड़ों पर डालते हैं फिर से एक निगाह, देखते हैं कैसी रही ये आपराधिक यात्रा


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21 फरवरी को सजा का ऐलान
जानकारी के मुताबिक, झारखंड की राजधानी रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने डोरंडा केस में फैसला सुनाया है. मामले में 36 लोगों को 3-3 साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, लालू प्रसाद यादव पर सजा का एलान अब 21 फरवरी को किया जाएगा. आरजेडी सुप्रीमो को कोर्ट की ओर से दोषी करार देते ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद उनके वकील ने जेल न भेजकर रिम्स में भेजने के लिए आवेदन दे दिया है.


जब हैरान रह गई सीबीआई
मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. इस घोटाले में सबसे दिलचस्प तथ्य था कि जानवरों को बाइक पर ढोया गया. मामला 1990-92 के बीच का है. अफसरों ने इस फर्जीवाड़े में बताया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक लाया गया. असल में जिन गाड़ियों के नंबर दस्तावेज में दर्ज किए गए. वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर निकले. सीबीआई ने जांच में ऐसा पाया था तो हैरान रह गई. 


कई मंत्री हुए थे गिरफ्तार
जांच में सामने आया कि 1990-92 के दौरान 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से अधिक में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदी गईं. वहीं क्रॉसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद का करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी.  सीबीआई ने जांच में कहा था कि ये व्यापक षड्यंत्र का मामला है. इसमें राज्य के नेता, कर्मचारी और व्यापारी सब भागीदार थे. इस मामले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र समेत राज्य के कई मंत्री गिरफ्तार किए गए थे.


आय से अधिक संपत्ति का मामला भी था
चारा घोटाले के चार मामलों- देवगढ़, चाईबासा, रांची के डोरंडा कोषागार और दुमका मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी गई थी. 1998 में लालू और राबड़ी देवी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया. 9 जून 2000 को कोर्ट में लालू यादव के खिलाफ आरोप साबित हो गए. अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद मामले को नए राज्य में ट्रांसफर कर दिया. 2006 में लालू और राबड़ी को आय से अधिक संपत्ति मामले में क्लीन चिट मिल गई थी. 


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