Chapra: एक तरफ नीतीश सरकार शराबबंदी के तमाम फायदे जनता को बता रही है और इसे अपनी बड़ी उपलब्धि भी मान रही है. लेकिन विपक्षी नहीं, अब सरकार के उसके सहयोगी ही इस पर सवाल उठाने लगे हैं. एनडीए की सहयोगी HAM की मानें तो बिहार में शराबबंदी कानून से कोई फायदा नहीं है बल्कि इससे गरीब जनता ही पीस रही है.


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'माफिया और पुलिस-पदाधिकारी मालामाल हो रहे'
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नीतीश सरकार के शराबबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'बिहार में 50 हजार करोड़ की शराब की खपत होती है, बड़े माफिया, पुलिस-पदाधिकारी शराबबंदी के बाद माला-माल हो रहे हैं और गरीब जनता पीसी जा रही है.' उन्होंने आगे कहा, 'शराबबंदी एक अच्छी चीज है, लेकिन इसका फायदा जितना मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है.'


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'शराबबंदी का फायदा उठा रहे माफिया'
दरअसल, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) छपरा के मढ़ौरा में एक कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे. उसी दौरान उन्होंने सरकार की एक बड़े कदम पर सवाल उठाते हुए कहा, 'बिहार में शराबबंदी का कोई फायदा नहीं है, बल्कि इसके विपरित शराबबंदी के बाद सूबे में शराब की ब्रिकी बढ़ गई है और इसका फायदा बड़े माफिया उठा रहे हैं.'


'पुलिस की मिलीभगत से होती है अवैध शराब की बिक्री'
उन्होंने कहा, 'शराब की ब्रिकी का ये सारा खेल पुलिस की मिलीभगत से चलता है. शराबबंदी के कारण अब लोग चोरी-छिपे शराब बेचते हैं जो महंगी होती है और गरीब उन्हें मंहगे रेट पर ही खरीदते हैं.'


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'माफिया लोग शराब बनवाते हैं और गरीब पकड़ा जाता है'
मांझी ने कहा, 'जिनका शराब चुलाई रोजगार है उन्हें दूसरी रोजगार मिले और लोग शराब से तौबा करें, शराब अच्छी चीज नही है. इसके लिये जागरूकता की जरूरत है. शराबबंदी के बाद लाखों लोग आधे-एक लीटर शराब के चलते जेल में बंद हैं, गरीब शराब नहीं बनाता बल्कि उसे कुछ माफिया किस्म के लोग जबरन बनवाते है और उन्हें सुविधा मुहैया कराते है, जिसके बाद गरीब पकड़ा जाता है.'


गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर विपक्ष कई बार सवाल खड़े कर चुका है और इस कानून पर दोबारा सरकार से गौर करने के साथ ढिलाई देने की भी मांग कर चुका है. लेकिन सरकार अपने इस कदम को अपनी बड़ी उलपब्धि मानती है.


(इनपुट-राकेश)