पटनाः Mangalwar Remedies: सनातन परंपरा में मंगलवार के दिन का खास महत्व है. यह पावन दिन रामभक्त हनुमान जी का दिन माना जाता है. इस दिन जो श्रद्धालु हनुमान जी की पूजा और व्रत करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही सूर्य ग्रह मजबूत होता है ऐसी मान्यता है. पुराण कथाओं में हनुमान जी को मारुति नंदन, बजरंगबली, संकट मोचन, पवनसुत आदि नामों से जाना जाता है. शास्त्रों में लिखा है कि महज हनुमान जी का सुमिरन करने पर भर से सभी संकट और दुख दूर हो जाते हैं.


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सिर्फ सुबह ही नहीं शाम को भी करें पूजा
अक्सर लोग ये प्रश्न पूछते हैं कि हनुमान जी की पूजा कब करनी चाहिए? दरअसल, कुछ लोककथाओं और किवदंतियों के कारण यह भ्रम बना रहता है. एक लोककथा के मुताबिक, बहुत सुबह और ब्रह्ममुहूर्त के तुरंत बाद हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए. उनकी पूजा का समय दिन में सूर्योदय के बाद का अधिक उचित माना जाता है. मंगलवार के दिन शाम को उनकी विधि पूजा करनी चाहिए. शाम को सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं. वैसे पूरे दिन में सूर्यास्त के बाद ही पूजा का शुभ मुहूर्त होता है. मंगलवार के दिन सही विधि के साथ हनुमान जी की पूजा करना शुभ माना जाता है.


गुड़ और चने का चढ़ाएं प्रसाद
मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में गुड़ व चने का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. यदि कोई व्यक्ति शारीरिक तौर पर पीड़ित है तो उसे मंगलवार के दिन एक पात्र में जल भरकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने रखना चाहिए. इससे राहत मिलेगी.


ऐसे करें हनुमान जी पूजा
सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें. श्रीराम जी का स्मरण करते हुए हनुमान जी की पूजा के लिए तैयारी कर लें. स्नान आदि के बाद पूजा घर में एक साफ जगह पर लकड़ी के ऊपर लाल-पीला कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति को रखें. आचमनि आदि के बाद व्रत का संकल्प कर लें. संकल्प के लिए कलश में जल लें और अक्षत-पुष्प बाएं हाथ में लेकर उसके ऊपर कलश रख लें और दाएं हाथ से कलश को ढांक लें. अब ऊं हनुमते नम:  मंत्र का पांच बार जाप करते हुए व्रत का संकल्प लीजिए. अब कलश को हनुमान जी की प्रतिमा या फिर तस्वीर के सामने रख दें.  


हनुमान चालीसा का पाठ करें
इसके बाद आप सुखासन में कुश के आसन पर बैठें. अब हनुमान जी की मूर्ति पर माला-फूल चढ़ाएं. इसके बाद धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र और सुगंधित कर लें. अब दीप जलाकर पूजा प्रारंभ करें. हनुमान जी को अब अनामिका अंगुली से तिलक या सिंदूर लगाएं साफ बने हुए प्रसाद को चढ़ाएं. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमानाष्टक भी पढ़ें. आखिरी में हनुमान जी की आरती उतारें और बजरंगबली का 5 मिनट के लिए मौन होकर ध्यान करें. हनुमान जी से ठीक पहले श्रीराम और महादेव की आरती जरूर उतारें. इसके बाद जय बजरंगबली बोलते हुए प्रसाद वितरित करें.


मंगलवार का उपाय
सायंकाल नदी के किनारे वटवृक्ष के पत्ते पर सात बताशे को अलग-अलग रखकर उसे सिंदूर अथवा रोली से तिलक करें और और सभी के सामने मिट्टी का दीया जलायें और अपनी मनोकामना का स्मरण करें. अंत में इन सभी सामग्रियों को नदी में प्रवाहित कर दें.


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