बिहार: Nalanda University: विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान का धरोहर है. नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत की पुनर्स्थापना हो रही है. विश्वविद्यालय के भवनों की बनावट पुराने नालंदा विश्वविद्यालय को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. विश्वविद्यालय के इस नए मनमोहक रूप को देखकर किसी भी बिहारी को गर्व की अनुभूति होगी. साथ ही बिहार के गौरवशाली अतीत की पुनर्स्थापना हो रही है. नालंदा विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखता है. आज वर्तमान में यह जिला सीएम नीतीश कुमार से भी पहचाना जाता है.


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नालंदा विश्वविद्यालय को प्राप्त थी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति
प्राचीन नालंदा संग्रहालय, ब्लैक बुद्धा, ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल, पुष्करणी तालाब संस्कृति ग्राम, बड़गांव सूर्य मंदिर, नावा नालंदा महाविहार, रूकमिणी स्थान, जुआफरडीह स्तूप, चंडीमौ, सिलाव इस सीट की सबसे बड़ी विशेषता है. वर्ष 2011 की जनसंख्या जनगनणा के मुताबिक यहां पर 4 लाख 22 हजार 135 अबादी है. नालंदा विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि जापान, चीन, कोरिया, तिब्बत, इंडोनेशिया तथा तुर्की समेत कई देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे. नालंदा के विशिष्ट शिक्षाप्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे. इस विश्वविद्यालय को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी.


नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली रहा अतीत
नालंदा विश्वविद्यालय अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था. इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था. जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था. उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे. मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित थीं. 


केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे. अभी तक खुदाई में तेरह मठ मिले हैं. वैसे इससे भी अधिक मठों के होने ही संभावना है. मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे. कमरे में सोने के लिए पत्थर की चौकी होती थी. दीपक, पुस्तक इत्यादि रखने के लिए आले बने हुए थे. प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था. आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक प्रार्थना कक्ष तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी.


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