बिहार में गाड़ियों का धुआं अभी भी कर रहा बीमार, सरकार के फैसले का नहीं दिख रहा असर
पूरी दुनिया प्रदुषण की मार झेल रही है. दुनियाभर में प्रदुषण की वजह से बड़ी संख्या में लोग असमय मौत को गले लगा रहे हैं. पूरी दुनिया में प्रदुषण से निपटने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है. भारत में भी प्रदुषण से निपटने के कई नायाब तरीकों को अपनाया जा रहा है.
पटनाः Pollution: पूरी दुनिया प्रदुषण की मार झेल रही है. दुनियाभर में प्रदुषण की वजह से बड़ी संख्या में लोग असमय मौत को गले लगा रहे हैं. पूरी दुनिया में प्रदुषण से निपटने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है. भारत में भी प्रदुषण से निपटने के कई नायाब तरीकों को अपनाया जा रहा है. जैसे इलेक्ट्रिकल गाड़ियों को बड़ी संख्या में सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिलना, वृक्षारोपण आदि. अब ऐसे में बिहार सरकार भी अपने प्रदेश के लोगों की सेहत सुधारने के लिए प्रयासरत है लेकिन अभी तक सारे प्रयास इसमें नाकाफी साबित हो रहे हैं.
बिहार में डीजल गाड़ियों पर रोक नहीं
प्रदुषण से निपटने के लिए बिहार सरकार की तरफ से एक योजना तैयार की गई थी. जिसके अनुसार पटना में डीजल गाड़ियों से निकलने वाला धुआं अब आपको बीमार बहुत बीमार नहीं कर सकेगा लेकिन अभी इन गाड़ियों के धुएं की वजह से लोग काफी बीमार हो रहे हैं. बिहार में पटना, मुजफ्फरपुर, गया ये कुछ ऐसे शहर हैं जो देश में वायु प्रदूषण के लिहाज से खतरनाक माने जाते हैं. इन सब बातों को ही ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग ने पटना की सड़कों से डीजल गाड़ियों को हटाने का फैसला किया था. निर्णय ये हुआ था कि सार्वजनिक वाहनों के तहत चलने वाली पीली बसों को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा लेकिन इस फैसले पर ईमानदारी से अमल नहीं हो रहा है.
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पटना जंक्शन से कुर्जी मोड़ तक चलने वाली अधिकतर सार्वजनिक वाहनों में डीजल का इस्तेमाल हो रहा है और इससे निकलने वाला धुआं लोगों को बीमार कर रहा है. परिवहन विभाग ने जो निर्देश जारी किए हैं उन निर्देशों की भी जानकारी पीली बस चलाने वाले चालकों को नहीं है. आखिर पटना की सड़कों पर गाड़ियां क्यों चल रही है इसके बारे में जब ज़ी बिहार झारखंड के संवाददाता ने राज्य की परिवहन मंत्री शीला कुमारी से बात की तो उनके पास इस बात का जवाब नहीं था.
डीजल वाली गाड़ियों को सीएनजी में बदलने के लिए सब्सिडी की घोषणा, पर कोई लाभ नहीं
इस मामले पर शीला कुमारी ने कहा कि विभाग का फैसला है कि क्रमिक रूप से गाड़ियों को हटाया जाएगा. इसके लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. दरअसल विभाग ने बहुत पहले डीजल वाली गाड़ियों को सीएनजी में बदलने के लिए सब्सिडी की घोषणा की थी लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. विभाग के इस फैसले से 250 डीजल से चलने वाली बसों को हटाया जाना था लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं सका. बिहार खासकर पटना में जिस तरह से नई गाड़ियां सड़कों पर उतर रही हैं उससे वायु प्रदूषण और उससे होने वाली बीमारी की आशंका रोजाना बढ़ती जा रही है. विभाग को अब अपने फैसले पर तेजी से अमल करना होगा.
(रिपोर्ट-प्रीतम कुमार)