Patna: Sonia Gandhi Birthday सोनिया गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और 9 दिसंबर यानी आज उनका जन्मदिन है. कांग्रेस पार्टी के 136 साल के इतिहास में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने सबसे ज्यादा दिनों तक अध्यक्ष पद संभाला है. इसके अलावा भी सोनिया गांधी के नाम कई सियासी उपलब्धियां हैं. उन्होंने 2004 और 2009 में सरकार गठन में प्रमुख भूमिका निभाई. दस साल तक केंद्र सरकार की बागडोर परोक्ष रूप से अपने हाथ में रखी. लेकिन ये सब सोनिया गांधी के लिए आसान नहीं था. 


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सोनिया ने कांग्रेस को दिया नया जीवन
पति राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की मौत के बाद लंबे अरसे तक वो राजनीति की राह से दूर ही रहीं. लेकिन जब सियासत की पारी खेलने का मन बनाया तो नतीजा धमाकेदार रहा. 1996 के आम चुनाव के बाद सिमटती कांग्रेस को उस वक्त नया जीवन मिल गया.


मुश्किल वक्त में लालू ने दिया सोनिया का साथ
सोनिया गांधी ने जब सियासत में आने का मन बनाया तो उनकी ही पार्टी में जोरदार विरोध हुआ. विदेशी मूल को मुद्दा बनाकर पार्टी के तीन बड़े नेताओँ ने बगावत कर दी. शरद पवार, पीए संगमा और तारीक अनवर की तिकड़ी ने सोनिया गांधी के मसले पर ही कांग्रेस पार्टी में विभाजन कर दिया. ऐसे हालात से निपटना सियासत की नई खिलाड़ी सोनिया गांधी के लिए आसान नहीं था. लेकिन इसी दरम्यान सोनिया गांधी को साथ मिला सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का. 


अहमद पटेल थे सोनिया-लालू के बीच की अहम कड़ी
लालू प्रसाद देश के पहले बड़े नेता थे जिन्होंने सबसे पहले सार्वजनिक तौर पर सोनिया गांधी के नेतृत्व को स्वीकार किया. इतना ही नहीं जब और जहां जरूरत पड़ी लालू प्रसाद ने सोनिया गांधी के नेतृत्व को डिफेंस किया. ऐसे वक्त में लालू के वैचारिक सहयोगी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) सोनिया गांधी के धुर विरोधी थे, लालू यादव सोनिया के साथ चट्टान की तरह खड़े हो गए. माना जाता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) सोनिया गांधी और लालू यादव के बीच की कड़ी थे .


सोनिया-लालू में रही गुड 'पॉलिटिकल केमिस्ट्री'
2004 में कांग्रेस की अगुवाई में जब UPA वन की सरकार बनी तो लेफ्ट के बाद गठबंधन में सबसे बड़ा दल राष्ट्रीय जनता दल था. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ पार्टी के कई नेता सरकार में मंत्री बने. लालू प्रसाद बनना तो गृह मंत्री चाहते थे लेकिन आखिरकार सोनिया गांधी ने उन्हें मना लिया और रेल मंत्री बनने पर राजी हो गए. ये लालू और सोनिया गांधी की गुड पॉलिटिकल केमिस्ट्री ही थी कि लालू यादव जैसे सख्त मिजाज नेता आसानी से राजी हो गए. 


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इतना ही नहीं यूपीए वन सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना नरेगा (NREGA) जिस ग्रामीण विकास मंत्रालय के जरिए लागू की गई, उसके मंत्री भी आरजेडी कोटे के रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ही थे. ये भी माना जाता है कि नरेगा ही वो योजना थी जिसके दम पर यूपीए ने दोबारा सरकार बनाई थी.


सरकार में कांग्रेस के साथ रही आरजेडी
लालू प्रसाद और सोनिया गांधी के रिश्तों के बीच एक कमजोर कड़ी थी लालू प्रसाद पर चारा घोटाले (Fodder Scam) के तहत लगे आरोप. जब लालू प्रसाद पर चार्जशीट दायर की गई तो केंद्र में जनता दल की सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही थी. बाद में 2004 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो भी लालू प्रसाद को किसी तरह की राहत नहीं मिल पाई. यहां तक कि सीबीआई (CBI) की स्पेशल कोर्ट में जब चारा घोटाले के तहत लालू प्रसाद को पहली बार सजा मिली तब भी देश में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए टू की सरकार चल रही थी. 


लालू-सोनिया में कभी नहीं दिखी तल्खी
लालू प्रसाद के साथ-साथ आरजेडी के एक बड़ा धड़ा ये मानता है कि अगर सोनिया गांधी चाहती तो लालू प्रसाद को इस मुकदमे से राहत मिल सकती थी. लेकिन आपस की इन कड़वाहट को लालू प्रसाद ने कभी भी अपने और सोनिया गांधी के सियासी रिश्तों पर नहीं पड़ने दिया. यहां वजह है कि ये रिश्ता थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव के साथ आज भी चल रहा है.


लालू ने राहुल गांधी को बताया था मोदी-केजरीवाल से बेहतर
ना केवल सोनिया गांधी बल्कि जब भी मौका मिला लालू प्रसाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ भी मजबूती से खड़े नज़र आए. एक बार तो लालू प्रसाद ने यहां तक कह दिया था कि 'राहुल गांधी मोदी और केजरीवाल से बेहतर नेता हैं'.