पटना: Shri Ram Story: श्रीराम की कहानी, सिर्फ रावण वध तक ही नहीं है. इस अवतार के पीछे कई श्राप भी कारण हैं. ये श्राप भगवान विष्णु से जुड़े हुए हैं. इनके कारण उन्हें मानव अवतार में जन्म लेना पड़ा. जानिए इन श्रापों की कहानी.


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सनत्कुमारों का श्राप
चार सनत्कुमारों ने वैकुंठ के द्वारपाल जय-विजय को तीन जन्म के लिए राक्षस हो जाने का श्राप दिया था.
उनकी मुक्ति तभी होनी थी, जब भगवान विष्णु अवतार लेकर उनका वध कर देते, यही उपाय था.
दोनों ने हिरण्यकशिपु-हिरण्याक्ष, रावण-कुंभकर्ण और शिशुपाल-वक्रदंत के रूप में जन्म लिया था.
भगवान विष्णु ने नृसिंह-वाराह, श्रीराम और श्रीकृष्ण का अवतार लेकर तीनों को मुक्ति दी.


देवर्षि नारद का श्राप
खुद भगवान विष्णु भी श्रापित थे. उन्हें उनके भक्त नारद मुनि ने श्राप दिया था.
नारद मुनि को अपनी तपस्या पर घमंड हो गया था. इसके कारण वे मोह के वश में आ गए.
वे एक कन्या के स्वयंवर में जाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से उनका रूप मांगा.
उन्होंने संस्कृत में कहा- 'हरिमुखं देहि श्रीहरि', हरिमुख का एक अर्थ बंदर भी होता है.
भगवान विष्णु ने उन्हें बंदर बना दिया, इससे स्वयंवर सभा में नारद का अपमान हुआ.
गुस्साए नारद ने श्रीहरि को श्राप दिया, एक दिन तुम मेरी तरह असहाय होगे और यही रूप तुम्हारी मदद करेगा.


भृगु ऋषि का श्राप
सतयुग में देव-दानव युद्ध हुआ. हारते हुए दानव भागे और भृगु आश्रम में छिप गए.
भृगु ऋषि की पत्नी ने उन्हें शरणागत समझ कर आश्रय दिया और देवताओं का विरोध करने लगीं.
बहुत समझाने पर जब वे नहीं मानीं तो भगवान विष्णु ने चक्र से गर्भवती ऋषि पत्नी की हत्या कर दी.
व्याकुल भृगु ऋषि ने श्राप दिया कि जैसे आज मैं ये वियोग सह रहा हूं, तुम्हें भी मनुष्य रूप में ये सहना पड़ेगा.
श्रीराम के अवतार में भगवान विष्णु को गर्भवती सीता का त्याग करना पड़ा था.


जालंधर की पत्नी वृंदा का श्राप
रुद्र के अंश से जन्मा राक्षस जालंधर देवताओं का शत्रु हो गया.
उसकी पत्नी वृंदा बचपन से विष्णुभक्त थी और सती नारी थी.
उसने जालंधर को अपने सतीत्व का कवच पहनाया था, जिससे उसे कोई हरा नहीं सकता था.
तब भगवान विष्णु जालंधर का वेश बनाकर वृंदा के सामने गए तो वृंदा ने पति समझकर उनके पैर छू लिए.
ऐसा होते ही जालंधर मारा गया, वृंदा ने ये देखा तो उसने तुरंत ही श्रीहरि को पत्थर हो जाने का श्राप दिया.
उसने कहा कि तुमने जो छल मेरे साथ किया है, इसके कलंक से कभी बच नहीं पाओगे.
रामजन्म में सीता पर उठे सवाल इसी श्राप का हिस्सा थे, जो श्रीराम को भोगना पड़ा था.  


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