नहीं भरे चिराग के दिए घाव! रामविलास की बरसी पर अनुपस्थित रह CM नीतीश ने दिए संकेत
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार किसी भी हाल में लोजपा के चिराग पासवान से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं. वैसे, सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या राजनीतिक दुश्मनी में व्यक्तिगत संबंध इतने हावी हो सकते हैं कि पुराने संबंधों को दरकिनार किया जाए.
Patna: लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की पहली पुण्यतिथि (बरसी) पर उनके पुत्र और लोजपा के सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित कर गिले-शिकवे दूर करने का प्रयास किए. इस मौके पर विभिन्न दलों के नेताओं का जमावड़ा भी लगा लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) या जनता दल युनाइटेड (JDU) का बड़ा चेहरा इस कार्यक्रम में नहीं दिखे.
चिराग से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं CM Nitish!
अब, जदयू के नेताओं से इस दूरी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार किसी भी हाल में लोजपा के चिराग पासवान से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं. वैसे, सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या राजनीतिक दुश्मनी में व्यक्तिगत संबंध इतने हावी हो सकते हैं कि पुराने संबंधों को दरकिनार किया जाए. इस कार्यक्रम में चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) ने पहुंचकर अपने भाई रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित की.
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'यह राजनीति में गलत परंपरा की शुरूआत'
इस मौके पर उन्होंने कहा कि अगर उन्हें आमंत्रण नहीं मिलता, तब भी यहां आते. हालांकि, मुख्यमंत्री ने रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित की लेकिन वे इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुए. राजनीतिक जानकार भी अब इसे अलग-अलग नजर से देख रहे हैं. राजनीतिक समीक्षक अजय कुमार कहते हैं, 'अगर नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में पहुंचते तब भी उन्हें कोई राजनीतिक नुकसान नहीं होता, इसका लाभ ही उन्हें मिलता.'
उन्होने कहा कि यह राजनीति में गलत परंपरा की शुरूआत है.
'चिराग को माफ करने के मूड में नहीं हैं नीतीश'
इधर, बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले मनोज चौरसिया कहते हैं कि नीतीश का इस आयोजन में नहीं पहुंचना यह साफ संकेत देता है कि दोनों दलों के बीच बनी दीवार को नीतीश तोडना नहीं चाहते बल्कि उसे और मजबूत कर रहे है. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. जदयू के नेता इसका सबसे बड़ा कारण लोजपा को मानते हैं. ऐसे में नीतीश लोजपा के नेता चिराग पासवान को माफ करने में मूड में नहीं दिखते हैं.
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'पार्टी की राजनीतिक हैसियत घटाने में चिराग की रणनीति'
चौरसिया कहते हैं, 'जदयू का मानना है कि बिहार में पार्टी की राजनीतिक हैसियत घटाने में चिराग की रणनीति और राजनीति जिम्मेदार है. वहीं, भाजपा (BJP) के नेता ने इस कार्यक्रम में पहुंचकर यह भी जता दिया है केंद्र में भले ही लोजपा (पारस) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस को मंत्री बना दिया गया है, लेकिन भाजपा चिराग को भी छोडने के मूड में नहीं है. चिराग लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने आरोप भी लगाया कि लोजपा को तोडने में जदयू का हाथ है. जानकार इसे चुनाव में लोजपा की रणनीति का बदला मानते हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)