पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साल 2012 में एक मुहीम शुरु की थी. सभी विधायकों को नैतिकता और संसदीय जीवन में पार्दर्शित के आधार पर सीएम नीतीश कुमार ने अपनी संपत्ति सावर्जनिक करने की अपील की थी. इस अपील के तहत सभी एमएलए एमएलसी को विधानमंडल सचिवालय में अपनी संपत्ति का ब्योरा सौंपना था. 


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शुरुआती दौर में सभी माननीय ने नीतीश कुमार की अपील पर अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर दी.लेकिन बाद के सालों में ये ग्राफ गिरता गया. आलम ये है कि साल 2019 अक्टूबर तक 243 में से केवल 20 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है. यहां तक की खुद जेडीयू के केवल 6 विधायकों ने ही संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है. 



शुरुआत में सीएम नीतीश कुमार की अपील का असर दिखा.शुरुआती साल 2012 में 201 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया.लेकिन उसके बाद इसकी संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिली.


2013 में 72, साल 2014 में 37, साल 2015 में 28, 2016 में 60, 2017 में 63, 2018 में 44, और साल 2019 में अक्टूबर तक केवल 20 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा जारी किया है. इतना ही नहीं 75 विधान पार्षदों में केवल 25 ही अपनी संपत्ति का ब्योरा जारी किया है.


इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला आंकडा रुलिंग पार्टी के विधायकों का है. जेडीयू के केवल 6 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है.जबकि आरजेडी के विधायकों ने बीजेपी के विधायकों से इस मामले में बाजी मारी है. आरजेडी के भी 6 विधायकों ने संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है. जबकि बीजेपी के 5 विधायक ही अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक कर सके हैं.कांग्रेस के केवल दो विधायकों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है.


कांग्रेस एमएलसी प्रेमचन्द्र मिश्रा ये मानते हैं कि नीतीश कुमार की ये पहल अच्छी है. वो ये भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने भी तक अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है. क्योंकि संपत्ति का ब्योरा विधानमंडल सचिवालय के जरिये जारी करना जरुरी नहीं है.


वहीं आरजेडी ने इस मुहीम को ईमानदार बनने का सिगूफा बताया है. आरजेडी विधायक राहुल तिवारी ने कहा है कि वो इनकम टैक्स रिटर्न फाईल करते हैं और ये जरुरी नहीं कि विधानसभा को भी अपनी संपत्ति बताया जाय. केवल संपत्ति सार्वजनिक कर देने से हम ईमानदार नहीं हो सकते. मुख्यमंत्री को शायद ऐसा लगता है कि सभी पॉलिटीशियन करप्ट हैं.


इधर बीजेपी के एमएलसी सचिदानंद रॉय ने भी इसके लिए कानून बनाने की वकालत की है. सचिदानंद राय कहते हैं कि उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है. लेकिन इसको गंभीरता से लागू करने के लिए कानून का सहारा लेना ही पडेगा क्योंकि जबतक कानून का डंडा नहीं चलता हम सुधर नहीं सकते. हर काम कल पर टाल देते हैं और ये कल कभी आता नहीं.