मांझी की पार्टी को कांग्रेस ने दिखाई हैसियत, HAM से बड़ी पार्टी RLSP को बताया
कांग्रेस प्रवक्ता हरखु झा ने कहा जीतनराम मांझी के नेता क्या बोलते हैं इससे महागठबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ता.
पटनाः जीतनराम मांझी कम सीट मिलने को लेकर नाराज हैं. मांझी को मनाने की कोशिशों के बीच कांग्रेस ने महागठबंधन में हम पार्टी की हैसियत की जानकारी दे दी है. कांग्रेस ने मांझी की पार्टी को महागठबंधन में चौथे नंबर पर बताया है. वहीं, आरजेडी ने यह कहकर मांझी का गुस्सा शांत करने की कोशिश की है कि मांझी अनुभवी नेता हैं सारी परिस्थितियों को समझते हैं. ऐसे में वो महागठबंधन के प्रति समर्पित रहेंगे.
महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मचे घमासान के बीच जीतनराम मांझी नाराज हो गए हैं. चर्चा है कि मांझी को उनकी मनमाफिक सीट नहीं मिल रही है. आरजेडी और कांग्रेस जीतनराम मांझी को एक सीट देना चाहती है, जबकि मांझी का कहना है कि उन्हें आरजेडी और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीट चाहिए.
कांग्रेस ने मांझी को महागठबंधन में उनकी हैसियत की जानकारी दे दी है. बिहार कांग्रेस प्रवक्ता हरखु झा ने कहा है कि महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है. उसके बाद कांग्रेस, तीसरे नम्बर पर उपेंद्र कुशवाहा तब जीतनराम मांझी की पार्टी हैं. हरखु झा ने कहा है कि सीटें तय हो चुकी हैं. होली से पहले जानकारी दे दी जाएगी. उन्होंने कहा कि संख्या बल नहीं बताने को लेकर पार्टी का विशेष निर्देश है.
साथ ही उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी को जो भी सीट दिए जा रहे हैं वो केवल कांग्रेस या आरजेडी तय नहीं कर रही, बल्कि महागठबंधन के नेता मिलकर तय कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मांझी के नेता क्या बोलते हैं इससे महागठबंधन को कोई लेना देना नहीं है. जब मांझी बोलेंगे तब जवाब दिया जाएगा.
मांझी की नारजगी की खबर के बीच आरजेडी ने भी मांझी को मनाने की कोशिश की है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मांझी की तारीफ की है. सिद्दिकी ने कहा है कि मांझी पुराने नेता हैं. सीएम रह चुके हैं. नीतियों के प्रतिबद्ध रहे हैं. बीजेपी को हराना उनका भी मकशद है. हर पार्टी में ज्यादा उम्मीदवार हैं. मांझी भी ऐसी ही प्रेसर से गुजर रहे हैं. लेकिन मिलकर मामला सलटा लिया जाएगा.
सीटों को लेकर मची खींचतान के बीच मांझी के लिए महागठबंधन में खुद की राह मुश्किल होती नजर आ रही है. ऐसे में कम सीटें मिलने की स्थिती में मांझी चुनाव से दूर रह सकते हैं. लेकिन बड़ा सवाल महागठबंधन के लिए है कि क्या मांझी का चुनाव से दूर रहना महागठबंधन के लिए फायदेमंद रहेगा.