नई दिल्ली/पटना:  दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को आईआरसीटीसी घोटाला मामले में क्रमश: 14 और 25 फरवरी को आरोपियों को दस्तावेज सौंपने का निर्देश दिया.


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विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आरोपियों को दस्तावेज सौंपने के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को 25 फरवरी दोपहर दो बजे तक दस्तावेज सौंपने होंगे. मामले एक निजी कंपनी को आईआरसीटीसी के दो होटलों का ठेका देने में कथित धनशोधन से संबंधित हैं.


सीबीआई और ईडी दोनों ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. इससे पहले आईआरसीटीसी टेंडर मामले में जहां एक ओर घोटाले की सीबीआई जांच कर रही थी वहीं, दूसरी तरफ ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही थी. इससे पहले सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए लालू एंड फेमली को तलब किया था. 


तेजस्वी यादव और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से 31 अगस्त को राहत मिल गई थी. तेजस्‍वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत मिली थी जबकि जेल में रहने की वजह से लालू यादव कोर्ट में पेश नहीं होसकते थे इसलिए कोर्ट ने सीबीआई की मांग पर प्रोडक्शन वारंट जारी कर लालू यादव को 6 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया था. 


क्या है पूरा मामला? 
यह मामला इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (IRCTC) द्वारा रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को देने से जुड़ा है. विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक हैं. इसके बदले में कथित तौर पर लालू को पटना में बेनामी संपत्ति के रूप में तीन एकड़ जमीन मिली. एफआईआर में कहा गया था कि लालू ने निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. 


इसके बदले में उन्हें एक बेनामी कंपनी डिलाइट मार्केटिंग की ओर से बेशकीमती जमीन मिली. सुजाता होटल को ठेका मिलने के बाद 2010 और 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक सरला गुप्ता से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गया. हालांकि इस दौरान लालू रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे.