Bihar: सृजन घोटाला के आरोपी कैदी की पटना के बेऊर जेल में मौत, प्रशासन में मची खलबली
मृतक अरुण कुमार की पत्नी ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. बता दें कि सीबीआई ने अरुण गुप्ता को 2017 में गिरफ्तार किया था.
Patna News: बिहार में हुए सृजन घोटाला के आरोपी अरुण कुमार की देर रात मौत हो गई. वो इस वक्त पटना की बेऊर जेल में बंद था. बताया जा रहा है कि जेल में अचानक से उसकी तबियत बिगड़ गई थी. पटना के पीएमसीएच में उसका इलाज चल रहा था. पीएमसीएच में ही इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. वहीं मृतक अरुण कुमार की पत्नी ने जेल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. अरुण कुमार की पत्नी इंदु गुप्ता ने आरोप लगते हुए कहा कि जब वह अपने पति से मिलने बेऊर जेल गई थीं तो उनके पति ने बताया था कि उनकी तबियत खराब है. जेल प्रशासन ने उनकी तबियत खराब होने के बाद भी सही से उनका इलाज नहीं कराया, जिस वजह से उनकी मौत हो गई.
इंदु गुप्ता ने बताया कि जब वह पीएमसीएच पहुंचे तो उनकी मौत हो चुकी थी. इंदु गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले को लेकर जेल प्रशासन से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन कई बार कॉल करने के बाद भी जेल के किसी भी अधिकारी ने कॉल रिसीव नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करने की मांग की. बता दें कि सीबीआई ने अरुण गुप्ता को 12 अगस्त 2017 को भागलपुर के गोरहट्टा चौक से गिरफ्तार किया था. कुछ दिन जेल में रहने के बाद अरुण कुमार का स्थानांतरण पटना के बेउर जेल कर दिया गया था. अरुण कुमार तब से पटना के बेउर जेल में बंद था. वहीं अरुण कुमार की पत्नी इंदु गुप्ता जमानत पर जेल से बाहर है.
ये भी पढ़ें- छेड़खानी का विरोध करने पर मनचले ने लड़की को पीटा, पटना में IPL खिलाड़ी से बदतमीजी
घोटाले के किंगपिंग अभी भी फरार
जिस वक्त सृजन घोटाला हुआ था उस वक्त मृतक अरुण कुमार भागलपुर में जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर आसीन थे. इस घोटाले में मृतक की पत्नी इंदु गुप्ता भी आरोपी थीं, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई थी. वहीं इस घोटाले की किंगपिंग रही मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया को सीबीआई अबतक गिरफ्तार नहीं कर पाई है.
ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार की पुलिस का कारनामा, थाने से गायब हुई शराब से लदी स्कॉर्पियो कार
क्या है सृजन घोटाला?
सृजन महिला सहयोग समिति एक एनजीओ है, जिसके खातों में 2004 से 2014 के बीच सरकारी रुपये की बड़ी राशि फर्जी तरीके से स्थानांतरित की गई थी. संगठन का कार्यालय बिहार के भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड में स्थित है. एनजीओ पर भागलपुर जिला प्रशासन के खातों से जिला अधिकारियों, बैंकरों और उसके कर्मचारियों की मिलीभगत से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकारी धन की हेराफेरी करने का आरोप है.