Garhwa News: झारखंड के गढ़वा जिले में शासन-प्रशासन की मिलीभगत से फैले भ्रष्टाचार में न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ा. न्यायालय के हस्तक्षेप से भ्रष्टाचार के एक मामले में 9 साल बाद मामला दर्ज किया गया है. कोर्ट के आदेश के बाद सदर थाना में गढ़वा नगर परिषद में 9 साल पहले हुए घोटाले के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र मे वर्ष 2015 में हुए सामान आपूर्ति घोटाले मे यह प्राथमिकी दर्ज की गई है. इस मामले में सदर थाना में तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष, उनके पति, नगर पंचायत गढ़वा के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी एवं कार्यपालक अभियंता के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है.  


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दरअसल, 9 साल पहले नगर पंचायत गढ़वा में बस स्टैंड एवं टाउन हाल के जीर्णोद्धार किया गया था. इसके अलावा शहर में एलइडी लाइट और डस्टबीन लगाने का काम किया गया था. इन कार्यों में सरकारी पैसे की जमकर लूट की गई थी. इसमें अनियमितता को लेकर नगर पंचायत के तत्कालीन उपाध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय ने आंदोलन किया था. इसके बाद इस मामले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी ने की थी. जिसमें नगर पंचायत की अध्यक्ष, उनके पति, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी एवं कार्यपालक अभियंता को अनियमितता में संलिप्त पाया गया था. इस कमेटी की सिफारिश के बावजूद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. 


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इसके बाद अनिल कुमार पांडेय ने इस मामले को लोकायुक्त के पास ले गए. तब लोकायुक्त ने भी कमेटी की जांच प्रतिवेदन के आलोक में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया. इसके बावजूद भी 9 वर्षों तक इस मामले में चुप्पी बनी रही और जांच में दोषी पाए गए लोग बेखौफ रहे. इसके पश्चात अनिल कुमार पांडेय ने इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में डब्ल्यू पीआईएल 1270/ 2021 दायर किया. जिस पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने गढ़वा नगर पंचायत में वर्ष 2015 में हुए घोटाले के मामले में संलिप्त लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया. इस मामले पर एसपी दीपक पाण्डेय ने कहा की मामला दर्ज कर लिया गया है मामले की जांच की जा रही है.