जी. कृष्णैया के हत्यारे आनंद मोहन की रिहाई पर विपक्ष के साथ सत्तापक्ष के भी निशाने पर नीतीश कुमार
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 14 वर्ष से अधिक समय से बंद 27 अन्य कैदियों को रिहा करने जा रही है.
Anand Mohan Release Order: बिहार में नीतीश कुमार की सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 14 वर्ष से अधिक समय से बंद 27 अन्य कैदियों को रिहा करने जा रही है. इसे लेकर नीतीश कुमार विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के निशाने पर आ गए हैं. सोमवार देर शाम इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई थी. भाजपा जहां आनंद मोहन बहाना बनाकर सरकार मुस्लिम यादव समीकरण के दुर्दांत अपराधियों पर मेहरबान होने का आरोप लगा रही है. वहीं सरकार में शामिल भाकपा माले ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के बहाने अन्य 26 ऐसे दुर्दांत अपराधियों को भी रिहा करने का फैसला किया, जो एमवाई समीकरण में फिट बैठते हैं और जिनके बाहुबल का दुरुपयोग चुनावों में किया जा सकता है. मोदी ने कहा कि गंभीर मामलों में दोषसिद्ध अपराधियों की रिहाई का फैसला असंवैधानिक और अनावश्यक है.
उन्होंने कहा कि 2016 में नीतीश सरकार ने ही जेल मैन्युअल में संशोधन कर दुष्कर्म, आतंकी घटना में हत्या, दुष्कर्म के दौरान हत्या और ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी की हत्या को ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा था, जिसमें कोई छूट या नरमी नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जवाब दें कि अब किस आधार पर सरकार अपने ही संशोधित कानून को शिथिल कर रही है.
उन्होंने कहा कि जी कृष्णया की हत्या और आनंद मोहन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के समय लालू प्रसाद ने पूर्व सांसद की कोई मदद नहीं की थी. ट्रायल शुरू होने पर यही ठंडा रवैया नीतीश कुमार का रहा. इधर, भाकपा माले ने कहा कि 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके बंदियों की रिहाई के मामले में सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है. भाकपा.माले राज्य सचिव कुणाल ने सरकार द्वारा 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 बंदियों की रिहाई में बहुचर्चित भदासी अरवल कांड के शेष बचे 6 बंदियों को रिहा नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई.
उन्होंने कहा कि सरकार आखिर टाडाबंदियों की रिहाई पर चुप क्यों हैं, जबकि शेष बचे सभी 6 टाडा बंदी दलित.अतिपिछड़े व पिछड़े समुदाय के हैं और जिन्होंने कुल मिलाकर 22 साल की सजा काट ली है. यदि परिहार के साल भी जोड़ लिए जाए तो यह अवधि 30 साल से अधिक हो जाती है. सबके सब बूढ़े हो चुके हैं और गंभीर रूप से बीमार हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार के इस भेदभाव नीति के खिलाफ आगामी 28 अप्रैल को भाकपा माले के सभी विधायक पटना में एक दिन का सांकेतिक धरना देंगे और धरना के माध्यम से शेष बचे 6 टाडाबंदियों की रिहाई की मांग उठायेंगे.
(इनपुट: IANS Hindi)