दरभंगा : दरभंगा जिले के बागमती नदी पर बरहेत्ता घाट पर बना पुल इन दिनों हादसों को न्योता दे रहा है. बता दें कि पुल का निर्माण करीब 20 साल पहले हुआ था और देख रेख के अभाव में पूरी तरह जर्जर हो गया है. विभाग ने पुल क्षतिग्रस्त होने का बड़ा सा साइन बोर्ड भी लगा दिया है, इसके बाद भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि जब भी इस पुल से ट्रैक्टर या अन्य भारी वाहन गुजरता है, तो पुल हिलने लगता है. अगर जल्द ही पुल पर वाहन चालकों की रौक नहीं लगी तो गुजरात के मोरबी जैसी घटना हो सकती है.


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पुल पर 25 से 30 गांव के लोगों का होता है आवागमन
बता दें कि बागमती नदी पर बरहेत्ता घाट में बना यह पुल करीब 20 साल पुराना है. विभागीय अनदेखी के कारण पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. स्थानीय ग्रामीणों ने अनुसार इस पुल से रोजाना करीब 25 से 30 गांव के लोग आवागमन करते है. इस पुल की स्थिति ऐसी है कि कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. अगर पुल गिरता है तो कितने लोगों की मौत होगी यह किसी को नहीं पता है. साथ ही अगर पुल का उपयोग नहीं करेंगे तो लोगों को लगभग 3 से 5 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर जिला मुख्यालय जाना होगा. वैसे इस पुल से गुजरने वाले उन तमाम 30 गांव के लोगों को कौन समझाए कि दूरी बचाने के चक्कर में वे अपनी कीमती जान को खतरे में डाल रहे हैं. विभाग का कहना है कि लोगों में जागरूकता का अभाव है, विभाग की ओर से पुल क्षतिग्रस्त का एक बड़ा सा साइन बोर्ड लगा रखा है, लेकिन उसके बाद भी लोग समझन को तैयार नहीं है.


इस पुल का कब हुआ था निर्माण
बता दें कि दरभंगा जिले के बरहेत्ता घाट पर बागमती नदी पर बने स्क्रू पाइल पुल का उद्घाटन 27 मई 2002 को तत्कालीन विधायक उमाधर सिंह के माध्यम से हुआ था. इस पूल के बनने के बाद करीब 30 गांव के लोगों का सफर आसान हुआ था, लेकिन अब विभागीय अनदेखी के कारण पुल अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. साथ ही आनन-फानन में पुल तो बन नहीं सकता है, इसलिए विभाग ने ‘पुल क्षतिग्रस्त’ है का बोर्ड लगाकर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली है. बोर्ड लगे होने के बावजूद आज भी लोग इस क्षतिग्रस्त पुल से आवागमन कर रहे हैं. स्थानीय मोहम्मद मुजीब और मनोज कुमार मंडल बताते हैं कि जब भी इस पुल पर ट्रैक्टर व भारी वाहन चलता है, तो पुल हिलने लगता है. कभी भी यहां पर बड़ी दुर्घटना घट सकती है. साथ ही पुल को लेकर विभाग के द्वारा मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है. स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया की जाएगी.


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