बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में एक ऐसा गांव है, जहां देवी देवताओं के साथ स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए महापुरुषों की भी पूजा होती है. यहां आप पहुंचते ही गांव के चारों तरफ देशभक्ति को महसूस कर सकते हैं. बेगूसराय के सुदूर इलाके में बसा परना गांव एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रचलित हो रहा है.


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शहीद हुए महापुरुषों की होती है पूजा
दरअसल जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सदर अनुमंडल क्षेत्र का परना गांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इसकी वजह सिर्फ यह है कि यहां की महिला, बच्चे, बूढ़े और युवा सुबह सवेरे उठकर शिव भक्ति में तल्लीन और आदि शक्ति दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं. वहीं साथ में मंदिर परिसर में ही स्थित शहीद हुए महापुरुषों की पूजा आरती भी पूरी श्रद्धा भाव से करते हैं. आने वाली पीढ़ी को महापुरुषों की कुर्बानियों को याद दिलाने के लिए मंदिर के बगल में ही 1991 में तत्कालीन मुखिया शिवराम महतो के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पोखर के मुहाने पर ही शहीद स्मारक स्थल का निर्माण कराया था. 


35 वर्षों से चलती आ रही है पूजा अर्चना 
गांव के लोगों का कहना है कि जिन्होंने अपने घर परिवार को त्याग कर तथा निजी सुख सुविधाओं को छोड़कर देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. आज देशवासियों का भी कर्तव्य भी उनके पराक्रम को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचा सके, इसके लिए पूरे समाज की ओर से पंडित शिव ज्योति झा को ही नियुक्त किया गया है. ये नित्य प्रतिदिन सुबह और शाम इन वीर सपूतों और देवी देवताओं की पूजा करते हैं. तकरीबन 35 वर्षों से चलता आ रहा यह पूजा-अर्चना का दौर आज लोगों के लिए एक आदर्श का काम कर रहा है.


कई महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित 
इस शहीद स्मारक में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू वीर कुंवर सिंह, झांसी की रानी, लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, राष्ट्रकवि दिनकर, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित की. फिर गांव के लोगों ने देवी-देवताओं के साथ इन महापुरुषों की भी पूजा अर्चना शुरू की. यहां करीब 30 वर्षों से देवी-देवताओं के साथ रोज सुबह शाम वैदिक मंत्र मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की जाती है.  


दूर-दूर से आते हैं लोग  
ऐसा नहीं कि सिर्फ इन महापुरुषों की पूजा में ग्रामीण ही शरीक होते हैं. बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं और इन महापुरुषों की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर एक तरफ जहां अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं तो वहीं पूजा-अर्चना के बाद लोगों के द्वारा इनकी वीरगाथा को भी नई पीढ़ी के समक्ष रखा जाता है. यही वजह है कि आज सुदूर इलाके में बसा यह परना गांव एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रचलित हो रहा है.


गांव की इस अनूठी पहल की वजह से आस-पास के लोग यहां आते हैं और मंदिर में पूजा भी करते हैं. गांव की इस पहल की वजह से युवा पीढ़ी भी अपने महापुरुषों को बहुत करीब से जान पा रही है. 
(Report- Jitendra Chaudhary)


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