बोकारो में नदी के उफान पर बह जाती है पढ़ाई और कमाई, सरकार नहीं ले रही सुध
बोकारो में हजारों की आबादी वाला आदिवासी बहुल गांव जहां ज्यादातर लोग दैनिक मजदूरी का काम करते हैं, जिन्हें प्रत्येक दिन रोजगार की तलाश में गांव से बाहर निकलना पड़ता है, लेकिन भारी बारिश के कारण पिछले दो दिनों से पूरी तरह गांव कैद में है.
बोकारो : बोकारो का ऐसा गांव जहां बरसात होते ही गांव टापू बन जाता है. नदी में पुल नहीं होने से बच्चों के पढ़ाई और बड़ों के कमाई पर काफी असर पड़ता है. मरीज को भी अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत होती है. बोकारो में भारी बारिश के कारण गोमिया प्रखंड के लोदी पंचायत का बरतुआ और बगलतवा गांव एक बार फिर से पूरी तरह कैद हो गया. एक 64 वर्षीय मरीज जागो गंझू की मौत इस कारण हो गई क्योंकि, गांव के उस पार टेंपो खड़ी थी और इस पार बीमार, जहां बीच में उफनती नदी उफान मार रही थी. ऐसे में लोगों को साहस नहीं हुआ कि इस उफनती नदी को वह पारकर दूसरी छोर में खड़ी ऑटो तक जा सके. नतीजा यह हुआ कि बीमार की मौत हो गई.
नदी में पानी के उफान से परेशान है ग्रामीण
बता दें कि हजारों की आबादी वाला आदिवासी बहुल गांव जहां ज्यादातर लोग दैनिक मजदूरी का काम करते हैं, जिन्हें प्रत्येक दिन रोजगार की तलाश में गांव से बाहर निकलना पड़ता है, लेकिन भारी बारिश के कारण पिछले दो दिनों से पूरी तरह गांव कैद में है. तत्काल छुटकारा की संभावना भी नहीं दिख रही है क्योंकि लगातार बारिश के कारण चिड़वा नदी पूरे उफान पर है और लगातार बारिश भी जारी है. स्थिति ऐसी है कि जो गांव से बाहर गए वो नदी के दूसरे छोर पर जलस्तर घटने के इंतजार में रहते हैं. एक ट्रैक्टर चालक पानी घटने का इंतजार दो दिनों तक करता रहा, लेकिन जब जलस्तर घटा नहीं और बढ़ते गया तो अंत में नदी के किनारे ट्रैक्टर खड़ा कर उसी में रात गुजारने को मजबूर हुआ.
स्कूल आने और जाने वाले बच्चों को हो रही परेशानी
स्थानीय निवासी अनिल हेंब्रम ने बताया कि इसमें केवल गांव के लोगों और आम मुसाफिर को ही खामियाजा नहीं भुगतना पड़ता है बल्कि स्कूल आने-जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को भी खामियाजा भुगतना पड़ता है. जब-जब चिड़वा नदी का जल स्तर बढ़ता है बच्चों को पढ़ाई भी छोड़ना पड़ता है. क्योंकि गांव का संपर्क स्कूल से पूरी तरह कट जाता है. वहीं स्कूल जाने के दौरान एक सहायक शिक्षक जिसे नदी के उस पार स्कूल में पढ़ाने जाना था. नदी पार होने का प्रयास किया लेकिन धारा इतनी तेज थी कि शिक्षक के जान पर बन आई, जिसके बाद शिक्षक आधे रास्ते से लौटने में ही भलाई समझी. उसी दौरान कई स्कूली बच्चे भी स्कूल जाने के लिए नदी किनारे पहुंच गए, लेकिन शिक्षक ने जलस्तर घटने के इंतजार में कई घंटे तक बच्चों को रोके रखा और अंत में घर वापस भेजना पड़ा. कहा जाए तो पुल नहीं रहने के कारण इस प्रकार से जीवन जीना बरतुआ गांव की नियति बन चुकी है. ऐसे में यहां के आदिवासी बहुल गांव के लोग जिला प्रशासन और सरकार से एक फूल का गुहार लगा रहे हैं, ताकि उन्हें जीवन यापन के लिए और बच्चों को पढ़ाई में बाधा ना उत्पन्न हो और आवाजाही सुलभ हो सके.
इस मामले पर क्या कहते है बोकारो उपायुक्त
बोकारो उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि तत्परता दिखाते हुए मौके पर गोमिया वीडियो को जायजा लेने के लिए भेजा है. ऐसे में इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुल निर्माण को लेकर पहल की जाएगी, ताकि ना बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो और ना ही गांव के लोगों को रोजगार करने में किसी प्रकार की परेशानी हो.
इनपुट- मृत्युंजय मिश्रा
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