100 साल से भी पुराना है हजारीबाग के रामनवमी का इतिहास, झांकी में शामिल होने दूर-दूर से आते हैं लोग
Ram Navami 2023: हजारीबाग का रामनवमी इंटरनेशनल रामनवमी यूं ही नहीं कहा जाता क्योंकि हजारीबाग को दूसरी अयोध्या नगरी भी कहा जाता है. रामनवमी को लेकर यहां विशेष तैयारियां होती है. होली के बाद से ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. जिसे लेकर प्रशासन एवं राम भक्त दोनों तैयारी करते हैं.
हजारीबाग: Ram Navami 2023: हजारीबाग का रामनवमी इंटरनेशनल रामनवमी यूं ही नहीं कहा जाता क्योंकि हजारीबाग को दूसरी अयोध्या नगरी भी कहा जाता है. रामनवमी को लेकर यहां विशेष तैयारियां होती है. होली के बाद से ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. जिसे लेकर प्रशासन एवं राम भक्त दोनों तैयारी करते हैं. होली के बाद से आने वाले पहले मंगलवार से ही पूरे शहर में मंगला जुलूस निकाला जाता है तथा दशमी एकादशी का जुलूस विश्व विख्यात है. इसे देखने लाखों की संख्या में लोग हजारीबाग पहुंचते हैं.
क्या है हजारीबाग के रामनवमी का इतिहास
हजारीबाग के इंटरनेशनल रामनवमी का केंद्र कहा जाने वाला बड़ा अखाड़ा प्रांगण रामनवमी में गुलजार रहता है. इसी बड़े अखाड़े से पूरे रामनवमी की आधारशिला रखी जाती है. बड़ा अखाड़ा के महंत विजय नंद दास ने बताया कि यहां की रामनवमी का इतिहास 100 साल पुराना है. पहले बड़े-बड़े झंडे निकाले जाते थे. जिसमें राम भक्त शामिल होते थे और झंडा बड़ा अखाड़ा प्रांगण में आकर खत्म होता था. परंतु जैसे-जैसे समाज बदला बिजली के तार आ गए तो अब जीवंत झांकियां निकाली जाती है और इसका भी अपना अलग महत्व है. उन्होंने बताया कि हजारीबाग में मंगला का भी अपना अलग इतिहास है. मंगला के माध्यम से शहर को भक्ति में किया जाता है तथा भगवान को बुलाने की यह एक प्रक्रिया है.
100 साल पुराना है इतिहास
वहीं पूर्व महा समिति अध्यक्ष अमरजीत यादव ने बताया कि हजारीबाग का रामनवमी अपने आप में विश्व विख्यात है. यहां साठ के दशक में मंगला जुलूस की परंपरा शुरू हुई. होली के बाद पढ़ने वाले मंगलवार को सभी अखाड़ा के लोग छोटा जुलूस लेकर निकलते हैं और यह संकेत देते हैं कि रामनवमी में हम भी जुलूस लेकर आएंगे. वहीं हजारीबाग के रामनवमी को लेकर प्रशासन के द्वारा इस बार बहुत तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. जिसे लेकर सदर विधायक मनीष जायसवाल विधानसभा में लगातार आवाज उठा रहे हैं.
इनपुट- यादवेंद्र मुन्नू